इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के विनिर्माण के लिए जेएसडब्ल्यू ग्रूप और एसएआईसी के स्वामित्व वाली एमजी मोटर के बीच गठजोड़ ने हाल ही में स्थानीयकरण पर भी ध्यान केंद्रित किए जाने से ध्यान आकर्षित किया था।
हालांकि स्थानीयकरण अब भी ईवी उद्योग के लिए बाधा बनी हुई है, क्योंकि ईवी की कीमत में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले सेल अभी भी चीन और कोरिया से आयात किए जा रहे हैं।
उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार जेएसडब्ल्यू-एमजी मोटर जैसी कंपनियां आने तथा रिलायंस, ओला और ह्युंडै जैसी कंपनियों की ईवी संबंधी आक्रामक कार्य योजना से भारत को इस संकट से उबरने में मदद मिल सकती है, क्योंकि स्थानीयकरण का स्तर धीरे-धीरे बढ़ेगा।
उपभोक्ताओं के लिए भी स्थानीयकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे दाम कम करने में भी मदद मिलेगी। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब सज्जन जिंदल इलेक्ट्रिक वाहनों में अपना खुद का मारुति जैसा माहौल बनाना चाहते हैं।
जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया कटक और पारादीप में एकीकृत ईवी कॉम्प्लेक्स स्थापित करने के लिए ओडिशा में पांच अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रही हैं।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इन सभी कंपनियों के मामले में ईवी के कलपुर्जों का देश में निर्माण करने की प्रक्रिया दो चरणों वाली होगी। शुरुआती निवेश बैटरी असेंबली किया जाएगा और बाद में सेल पर।
बैटरी पैक, इंजन, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक आइटम तथा मोटर के मामले में स्थानीयकरण पहले से ही अधिक स्तर पर किया जा रहा है। गोदी इंडिया के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी महेश गोदी ने कहा ‘वाहन की लगभग 50 प्रतिशत लागत केवल बैटरी की होती है।
घरेलू और निर्यात बाजार के लिए बैटरी का स्थानीयकरण बहुत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में सभी सेल चीन या कोरिया से भारत में आयात किए जाते हैं। पहले चरण में ये कंपनियां शायद बैटरी पैक विनिर्माण करेंगी और फिर दो से तीन वर्ष के बाद सेल विनिर्माण में जाएंगी।