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ऑटो मार्केट में भारत का दबदबा, EVs की धीमी रफ्तार बड़ा चैलेंज: Moody’s

Moody's Report: इंफ्रास्ट्रक्चर की कमियों और सप्लाई चेन की दिक्कतों के चलते EVs की ग्रोथ की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- May 27, 2025 | 12:55 PM IST

मूडीज रेटिंग्स (Moody’s Ratings) का कहना है कि भारत आने वाले वर्षों में ग्लोबल ऑटोमेकर्स की स्ट्रैटजी के केंद्र में रहेगा। युवा और बढ़ती कामकाजी आबादी व इनकम भारत को ऑटोमेकर्स के लिए एक आकर्षक बाजार बनाती है। हालांकि, ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अपनाने की गति धीमी रहेगी। इंफ्रास्ट्रक्चर की कमियों और सप्लाई चेन की दिक्कतों के चलते EVs की ग्रोथ की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है।

मूडीज (Moody’s) का अनुमान है कि भारत में कारों की बिक्री 3.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी और 2030 तक 51 लाख यूनिट तक पहुंच जाएगी। भारत में प्रति 1,000 लोगों पर सिर्फ 44 कारों की मौजूदगी दर्शाती है कि बाजार में विकास की काफी संभावनाएं हैं। फिलहाल, भारत यूनिट बिक्री के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार है।

कार बाजार में प्रतिस्पर्धा कड़ी

भारतीय कार बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा है। घरेलू कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी लगभग 25% है। जापानी, कोरियाई और चीनी ऑटोमेकर ज्वाइंट वेंचर्स और स​ब्सिडियरीज के जरिए 70% से ज्यादा बाजार पर कब्जा जमाए हुए हैं।

मूडीज़ (Moody’s) का मानना है कि भारत की ट्रेड वार्ता और यूके (UK) के साथ हालिया व्यापार समझौता घरेलू बाजार को खोलने के बढ़ते दबाव का संकेत देते हैं।

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EVs को लेकर चुनौतियां

मूडीज के मुताबिक, बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की रफ्तार देशभर में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और घरेलू बैटरी सप्लाई चेन के डेवलपमेंट पर निर्भर करती है। ग्लोबल स्तर पर उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के दबाव के बावजूद, भारत का पारंपरिक वाहन बाजार ऑटो निर्माताओं के लिए अहम बना हुआ है। भारत कुछ कंपनियों के लिए निर्यात का केंद्र भी है।

मूडीज (Moody’s) का मानना है कि ईवी का लाभ मार्जिन सीमित रहने की संभावना है, लेकिन भारत का डेमोग्रेफिक डिविडेंड और कंजम्प्शन ग्रोथ वाहनों की मांग को बनाए रखेगी।

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Tata Motors, Hyundai का बड़ा प्लान

टाटा मोटर्स (Tata Motors) और ह्युंडै (Hyundai) बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस कर रहे हैं, जबकि होंडा (Honda) प्लग-इन हाइब्रिड वाहनों के साथ शुरुआत करने की योजना बना रही है। ऑटोमेकर्स को 2030 तक ईवी सेगमेंट में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए 10 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश करने की उम्मीद है। हालांकि, इस निवेश से कंपनियों के कैश फ्लो पर असर पड़ सकता है।

First Published : May 27, 2025 | 12:55 PM IST