आलू के बाद अब प्याज के किसानों को रोना आ रहा है। देश के लगभग हर कोने में प्याज जमीन पर लुढ़क चुका है।
पिछले साल के मुकाबले प्याज की कीमत में 60 फीसदी तक की गिरावट हो चुकी है। आने वाले समय में प्याज के भाव में और गिरावट की संभावना है। प्याज की आवक भी पिछले साल के मुकाबले काफी अधिक है। किसानों को उनकी लागत भी निकल पा रही है।
इधर बारिश के कारण प्याज के सड़ने की भी आशंका व्यक्त की जा रही है। भंडारण की उचित सुविधा के अभाव में किसान औने-पौने दाम पर प्याज बेचने को मजबूर नजर आ रहे हैं। दिल्ली की मंडी में प्याज की कीमत गुरुवार को 300-400 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर रही।
पिछले साल समान अवधि के दौरान प्याज की कीमत 500-700 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर थी। ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली में प्याज की कीमतों में गिरावट आयी है। मई महीने के पहले सप्ताह के आंकड़ों के मुताबिक गोवा में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले प्याज के भाव 54 फीसदी तक गिर गए हैं।
जबकि गुजरात में यह गिरावट 25 फीसदी, हरियाणा में 23 फीसदी, जम्मू कश्मीर में 26 फीसदी, मध्य प्रदेश में 38 फीसदी, उड़ीसा में 39 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 25 फीसदी, राजस्थान में 21 फीसदी तो उत्तराखंड में 26 फीसदी तक हो चुकी है।
दिल्ली की मंडी में रोजाना 80-85 ट्रक प्याज की आवक हो रही है। एक ट्रक पर 15-16 टन प्याज होते है। प्याज की आवक मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश व गुजरात से हो रही है। राजस्थान व मध्य प्रदेश से जहां रोजाना 40-40 ट्रक प्याज आ रहे हैं वही गुजरात से मात्र 2-5 ट्रक प्याज की आपूर्ति हो रही है। इसके अलावा ट्रेन के जरिए भी रोजाना लगभग 40 डिब्बे प्याज की आवक हो रही है।
प्याज मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा कहते हैं, ‘प्याज की आवक पिछले साल के मुकाबले काफी अधिक है। मई के आरंभ में प्याज की कीमत 380 रुपये प्रति क्विंटल तक थी। लेकिन आवक में रोजाना बढ़ोतरी होने के कारण दूसरे सप्ताह में इसकी कीमत आधी रह गयी।’ मंडी सूत्रों के मुताबिक प्याज का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा है।
पिछले साल महाराष्ट्र में 2.47 मिलियन टन, गुजरात में 2.13 मिलियन टन तो कर्नाटक में 0.87 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था। दिल्ली में अधिक कीमत गिरने की वजह यह है कि यहां कई राज्यों से इस समय प्याज की आपूर्ति होती है। दूसरी वजह यह है कि पिछले साल अच्छी कीमत मिलने के कारण किसानों ने प्याज की बुवाई अधिक जमीन पर की।