वैश्विक ताप से बचने के लिए कुल्लू के सेब बागान ऊंचाइयों की ओर जरूर जा रहे हैं लेकिन इसके उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है।
उत्पादन में कमी का असर सिर्फ सेब किसानों पर ही नहीं, कुल्लू की पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ने की आशंका जतायी जा रही है। हालांकि अच्छे बाजार का अभाव झेल रहे यहां के सेब उत्पादकों के लिए एक खुशखबरी है। खबर है कि कुल्लू और शिमला की ऊंचाइयों पर रिलायंस और अन्य बड़ी कंपनियां खरीदारी करने पहुंच रही हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल यानी 2008 में कुल्लू में सेब का उत्पादन 86 हजार टन होने का अनुमान है। पिछले साल के उत्पादन से यह 48 हजार टन कम है। जानकारों के मुताबिक, सेब के कम उत्पादन के लिए अधिक ठंडक जिम्मेदार है। कहा जा रहा है कि जहां कम ऊंचाई पर गर्मी के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा था, वहीं अधिक ऊंचाई पर ठंडक की मार पड़ रही है।
कुल्लू बागवानी विभाग के अधिकारी टेक चंद ठाकुर कहते हैं कि वर्ष 2005 से पहले यहां सेब की खेती 4,500-5,000 फीट की ऊंचाई पर की जाती थी। लेकिन अब इन सेब बागानों को नष्ट कर दिया गया है। मौजूदा हाल तो यही है कि इसकी खेती 6,500 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि कुल्लू में मुख्यत: सेब का ही कारोबार होता है। इस साल इस कारोबार में लगभग 38 फीसदी कमी के आसार हैं। कुल्लू से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, कम उत्पादन से किसानों के अलावे ट्रांसपोर्टर और अन्य कारोबारी भी प्रभावित होंगे। मालूम हो कि कुल्लू के 40,000 लोग सेब उत्पादन के जरिए ही अपना गुजर-बसर करते हैं।
किसानों के अनुसार, विपणन (मार्केटिंग) की व्यवस्था न होने के चलते उन्हें सेब की उचित कीमत नहीं मिल पाती है। इस बार भी हिमाचल प्रदेश सरकार ने सेब की खरीद मूल्य में मात्र 50 पैसे प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी की है, जिससे किसानों में सेब को लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। इस वृद्धि के बाद सेब का खरीद मूल्य बढ़कर 5.25 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।
उत्पादकों का कहना है कि सरकार चाहे जो भाव तय करे बाजार में एक किलो सेब की कीमत 10 रुपये से कम नहीं रहने वाली। टेकचंद ठाकुर ने बताया कि सब्जी मंडी खुलने से उत्पादकों को थोड़ी अच्छी कीमत जरूर मिलने लगी है पर अभी सुधार की पूरी गुंजाइश है। इस बीच खबर है कि शिमला में अदानी और रिलायंस समूह की कंपनियां सेब की खरीदारी करने पहुंच चुकी है। इसने कुल्लू में भी किसानों से बातचीत की है। इससे कीमत को लेकर सेब उत्पादकों मे एक नयी आस जगी है।