सरकार कुछ खाद्य पदार्थों के वायदा कारोबार पर रोक लगा सकती है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि अगर संसद की राय होती है कि कुछ खाद्य वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगा सकती है।
स्पेन की राजधानी मैड्रिड में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा है कि यदि कुछ लोग सही तरीके से या गलत तरीके से सट्टेबाजी के जरिये कीमतों में तेजी लाने के पीछे काम कर रहे हैं तो एक लोकतंत्र होने के नाते भारत इसको किसी भी तरह से हल्के में नहीं लेगा।
गौरतलब है कि इस समय महंगाई दर पूरे उफान पर है। सरकार इसको काबू में करने की पूरी कोशिशों में जुटी है लेकिन उसके बहुत उल्लेखनीय परिणाम सामने नहीं आए हैं। इस साल चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। इसको देखते हुए कांग्रेसनीत संयुक्त प्र्रगतिशील गठबंधन सरकार कोई भी कोताही नहीं बरतना चाहती है।
महंगाई के चलते सरकार को समर्थन दे रही वामपंथी पार्टियां भी लाल-पीली हो रही हैं। वाम दल और अन्य पार्टियां सरकार पर कुछ खाद्य वस्तुआें के वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग कर रही हैं। इनमें खाद्य तेल, चीनी और दूसरी कई वस्तुएं शामिल हैं। सरकार ने पिछले साल गेहूं और चावल के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी थी। वित्त मंत्री ने कहा है कि कुछ और खाद्य वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगाने के लिए दवाब बना हुआ है।
वायदा बाजार का जिसों की कीमतों पर प्रभाव के लिए सरकार ने योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है। जिसकी रिपोर्ट भी सरकार को मिल चुकी है। वैसे इस बात की पूरी संभावना है कि चावल और गेहूं के वायदा कारोबार पर लगी रोक बरकरार रहेगी। इस रिपोर्ट में किसी और जिंस के वायदा कारोबार पर रोक लगाने की बात नहीं की गई है। इसमें इस बात के भी प्रमाण नहीं मिले हैं कि वायदा कारोबार किसी भी तरह से कीमतें बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।
दरअसल वायदा कारोबार वह है जिसमें किसी किसी जिंस को किसी विशेष तारीख पर विशेष कीमत पर खरीदा और बेचा जाता है। भारत में 2003 से जिंसों की ऑनलाइन खरीद शुरू हो चुकी है। वैसे अभी भारत में यह नई शुरूआत है। भारत में कमोडिटी एक्सचेंजों में अभी बड़ी कंपनियां और कारोबारी ही लगे हुए हैं। और एक तरफ जहां शेयर बाजार में 1.3 करोड़ छोटे-बड़े निवेशक कारोबार में लगे हुए हैं। इस तुलना में कमोडिटी एक्सचेंजों में कम कारोबार है।
वित्त मंत्री ने कहा कि फिलहाल महंगाई की मार से बचने का रास्ता नहीं दिख रहा है और अगले कुछ हफ्तों तक महंगाई दर के नीचे आने के आसान नजर नहीं आ रहे हैं। महंगाई दर ने इस समय पिछले तीन साल के रेकॉर्ड को पार कर लिया है और फिलहाल यह 7.57 फीसदी के स्तर पर बनी हुई है। खुद अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि इस समय महंगाई पर लगाम कसना सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है।
देश का केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक भी अपनी ओर से महंगाई पर नकेल कसने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर वित्त मंत्री ने कहा है कि भारत में महंगाई दर केवल 4 फीसदी के आसपास ही होनी चाहिए। वैसे पिछले कुछ महीनों में सरकार ने महंगाई पर अंकुश लगाने की काफी कोशिशें की हैं।