अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे मौसम के बदलाव को देखते हुए कार्बन क्रेडिट के बाजार में इस साल यानी 2008 में 75 फीसदी के उछाल की उम्मीद है।
राबो इंडिया फाइनैंस के प्रबंध निदेशक राजेश श्रीवास्तव ने शुक्रवार को आयोजित इंटरनैशनल कॉन्फ्रेंस ऑन कार्बन क्रेडिट में कहा कि 2007 में कार्बन क्रेडिट का बाजार 40 बिलियन यूरो का था, जो 2008 में बढ़कर 60-70 बिलियन का हो जाएगा।
साल 2006 में ग्लोबल कार्बन क्रेडिट बाजार का राजस्व 5 अरब यूरो का था, जो इस साल बढ़कर 40 अरब यूरो का हो जाएगा। क्योटो प्रोटोकॉल के तहत क्लीन डिवेलपमेंट मैकनिज्म का इग्जेक्यूटिव बोर्ड कार्बन क्रेडिट यानी सर्टिफाइड इमिशन रिडक्शन (सीईआर) प्रदान करता है।
यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ी संस्था है। विकासशील देशों में निवेश करने वाले औद्योगिक देशों को यह संस्था कार्बन क्रेडिट देती है। इस पर निवेश करने वाला देश क्योटो प्रोटोकॉल केतहत कार्बन इमिशन की भरपाई करने के लिए ऐसे क्रेडिट का इस्तेमाल करता है। दूसरी ओर जिन विकासशील देशों में ऐसे देश निवेश करते हैं, वैसे देशों को नवीकृत प्रोजेक्ट में निवेश बढ़ने का फायदा मिलता है।
वर्तमान में भारत के पास सीडीएम इग्जेक्यूटिव बोर्ड द्वारा जारी कुल कार्बन क्रेडिट का करीब 43 फीसदी हिस्सा (280 लाख टन) है। भारत सीडीएम प्रोजेक्ट में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेता है। सीडीएम बोर्ड के पास 5 मई तक कुल 1047 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड थे और इसमें से 32 फीसदी अकेले भारत में रजिस्टर्ड हुआ है। इस तरह अन्य देशों के मुकाबले यहां रजिस्ट्रेशन का स्तर सबसे ऊंचा है। इससे यहां नवीकृत ऊर्जा स्रोतों और एनर्जी एफिसिएंशी प्रोजेक्ट में निवेश बढ़ा है।
साफ और हराभरा
2007 में कार्बन क्रेडिट का बाजार 40 बिलियन यूरो का था, जो 2008 में बढ़कर 40-60 बिलियन यूरो होने की संभावना है।
ग्लोबल कार्बन क्रेडिट बाजार का राजस्व 2006 में 5 बिलियन यूरो का था, जो पिछले साल बढ़कर 40 बिलियन यूरो का हो गया।