कीमत के मामले में कपास में आने लगी ‘कड़वाहट’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 8:41 AM IST

निर्यात, कालाबाजारी व वायदा बाजार के निवेशकों के अधिक रुझान के कारण कपास के मूल्यों में इन दिनों लगातार बढ़ोतरी जारी है।


पिछले 15 दिनों के भीतर कपास के मूल्य में 8 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है और इसकी कीमत 27,500 रुपये प्रति कैंडी हो गयी है। कपास निर्यातकों का कहना है कि कपास की कीमत किस स्तर पर स्थिर होगी यह नहीं कहा जा सकता है।

मुंबई के माटुंगा स्थित केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत ने कपास उत्पादन के साथ-साथ कपास निर्यात के मामले में भी दूसरा स्थान हासिल कर लिया है। तीन साल पहले तक भारत कपास निर्यात के मामले में पांचवे पायदान पर था। वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिका में वर्ष 2007-08 के दौरान कपास के उत्पादन में कमी से भारत का निर्यात काफी बढ़ गया। इस दौरान 67 लाख बेल (1 बेल = 170 किलोग्राम) कपास का निर्यात किया गया।

कपास निर्यातक अल्टस सर्जिकल के निदेशक के मुताबिक पिछले दो महीनों के दौरान कपास की कीमत में 25-30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। निश्चित रूप से निर्यात में बढ़ोतरी हुई है लेकिन कुछ हद तक इसके लिए कालाबाजारी को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। कुछ निर्यातकों का यह भी कहना है कि निर्यात की अच्छी संभावना को देखते हुए वायदा बाजार के निवेशकों का रुझान भी इस ओर बढ़ गया है। वायदा बाजार के एक सटोरिये के मुताबिक जब हाजिर बाजार की कीमत ज्यादा होती है तो वायदा बाजार की कीमत अपने आप अधिक हो जाती है। और कपास के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है।

मूल्य बढ़ोतरी के मामले में कपास विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2008-09 के दौरान पिछले साल के मुकाबले कम क्षेत्र में कपास की बुआई के कारण भी कीमत तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल पूरे देश भर में 93 लाख हेक्टेयर जमीन पर कपास की खेती की गयी। गुजरात के कपास उत्पादक संजय के मुकाबिक इस साल गुजरात में अब तक कपास की खेती से जुड़ी 40-50 फीसदी जमीन पर ही बुआई हो पायी है जबकि पिछले साल समान अवधि तक 90 फीसदी जमीन पर बुआई हो चुकी थी।

इसके अलावा समय पूर्व मानसून आने व नमी अधिक होने के कारण कपास में कीड़े लगने भी शुरू हो  चुके हैं। इन कारणों से यह कयास लगाया जा रहा है कि आगामी साल कपास के उत्पादन में कमी आएगी। हालांकि कपास से जुड़े वैज्ञानिक चित्रनायक सिन्हा इस बात से असहमति जताते हुए कहते है कि अभी इस प्रकार का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

सभी चीजों की कीमतों में पिछले छह महीनों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है तो कपास कैसे अछूता रह सकता है। देश के कुल कपास उत्पादन का 60 फीसदी भाग महाराष्ट्र व गुजरात में होता है। टेक्सटाइल निर्यात का भारत के कुल निर्यात में 35 फीसदी की हिस्सेदारी है। भारत से सालाना 60,000 करोड़ रुपये का टेक्सटाइल निर्यात किया जाता है। कुल जीडीपी में इसकी भागीदारी 4 फीसदी बतायी जाती है।

First Published : June 30, 2008 | 10:44 PM IST