उबलते खाद्य तेल पर भी बेअसर काले बादल

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:03 AM IST

सरकार चाहे लाख इस बात का दावा कर ले कि मानसून के बाद महंगाई कम हो जाएगी, लेकिन खाद्य तेल आयातकों का कहना है कि दीपावली के पहले खाद्य तेल की कीमतों का ग्राफ नीचे नहीं आने वाला है।


उनकी दलील है कि घरेलू बाजार में सितंबर-अक्तूबर तक खाद्य तेलों से जुड़ी कोई नई फसल नहीं आने वाली है। खाद्य तेलों का अंतरराष्ट्रीय बाजार तेज है, डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है और सबसे बड़ी बात कि कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है।

खाद्य तेलों के वायदा बाजार पर पाबंदी लगने से आयातक पहले के मुकाबले कम तेल का आयात कर रहे हैं। पिछले महीने के मुकाबले खाद्य तेलों में 4-5 रुपये प्रति किलोग्राम की तेजी दर्ज की जा चुकी है।

खाद्य तेल के आयातकों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमत व खाद्य तेल की कीमत में सीधा रिश्ता है। खाद्य तेल आयातक कंपनी जेएस ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हरमीत सिंह खुराना कहते हैं, ‘कच्चे तेल की कीमत बढ़ते ही यूरोप व अमेरिका में बायोडीजल के लिए पामोलीन की खपत बढ़ जाती है और उसकी कीमत भी तेज हो जाती है।

हमारे देश में अपना कोई बफर स्टॉक नहीं होता और हमारा बाजार मुख्य रूप से आयात पर ही निर्भर करता है।’ फिलहाल कच्चा तेल 127-128 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर है। इसके अलावा भारत में न तो सरसों का स्टॉक है और न ही सोया का। चार पांच साल पहले तक सरसों का 40 लाख टन तक स्टॉक होता था जो 50 हजार टन पर आ गया है।

भारत खाद्य तेलों की अपनी कुल खपत का लगभग 50 फीसदी आयात करता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुख से कैसे बचा जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन दिनों सोया तेल की कीमत 1410 डॉलर प्रति टन है तो पामोलीन की कीमत 1200 डॉलर प्रति टन।

डीआर एक्सपोर्ट इंटरनेशनल से जुड़े हरीश कहते हैं, ‘इन दिनों पामोलीन का आयात अधिक हो रहा है क्योंकि सोया तेल काफी महंगा पड़ रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर पड़ने से इसकी कीमत और अधिक हो जाती है। आने वाले समय में सोया तेल में गिरावट के कोई आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं।’

कैसे चलेगा सरकार का ‘मानसून इफेक्ट’

कच्चे तेल की कीमत बढ़ते ही यूरोप-अमेरिका में बढ़ जाती है बायोडीजल के लिए पामोलीन की खपत
सितंबर-अक्तूबर तक नहीं आने वाली कोई नई खाद्य तेल की फसल
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी है तेजी, डॉलर के मुकाबले रुपया हो रहा लगातार कमजोर
वायदा बाजार पर पाबंदी लगने से आयातक कर रहे पहले के मुकाबले कम आयात

First Published : June 3, 2008 | 12:59 AM IST