जोरदार बारिश ने उत्तर प्रदेश के खेत-खलिहानों के साथ-साथ बांधों और जलाशयों की भी प्यास बुझा दी है। तीन साल के बाद जुलाई में ही प्रदेश के किसानों ने धान की रोपाई का 80 फीसदी से ज्यादा काम पूरा कर लिया है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल जुलाई में ही धान की रोपाई का काम पूरा हो जाएगा। बुदेलखंड में भी मौसम वैज्ञानिक इस बार खरीफ की अच्छी फसल की उम्मीद जता रहे हैं। अच्छे मानसून के चलते बुंदेलखंड के ज्यादातर इलाकों में धान की रोपाई का आधा से ज्यादा काम पूरा हो गया है। बाकी खेतों में भी रोपाई इस महीने के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।
अच्छे मौसम को देखते हुए इस साल कृषि विभाग ने करीब 60 हेक्टेयर धान की रोपाई का लक्ष्य रखा था, जिसके 25 जुलाई तक पूरा हो जाने की आशा है। हालांकि प्रदेश के कुछ हिस्सों से धान की पौधे के गलने की भी खबर है, पर कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसे किसानों को फिर से रोपाई की सलाह दी है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि धान गल जाने की दशा में खाली खेतों में उड़द और मूंग बोकर नुकसान को कुछ हद तक टाला जा सकता है। इसके अलावा कम समय में तैयार होने वाली धान की प्जाति को सीधे बोकर भी नुकसान की भरपाई की जा सकती है। कृषि निदेशक राजित राम वर्मा ने भी ऐसी ही सलाह किसानों को दी है। वर्मा के अनुसार इस समय बाजार में धान की ऐसी प्रजातियां उपलब्ध हैं, जो 130 से 140 दिन में तैयार हो जाती हैं। इससे समय की बचत भी होती है और साथ में उपज का नुकसान भी नहीं होता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि बुंदेलखंड में अकेले जून में इस साल सामान्य के मुकाबले 200 फीसदी ज्यादा बारिश हुई, जो कि बीते सात सालों का एक रेकॉर्ड है। पिछले पांच सालों से बुंदेलखंड में जून के महीने में बारिश सामान्य के मुकाबले आधी से भी कम होती रही है। मौसम विभाग का कहना है कि बुंदेलखंड पर इंद्र देवता की कृपा इस पूरे साल बनी रहेगी।