दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इलायची उत्पादक भारत ने वित्तीय वर्ष 2007-08 के पहले 11 महीनों में 1565 टन इलायची का निर्यात किया है।
मसाला बोर्ड के मुताबिक, इसकी ऊंची घरेलू खपत और आपूर्ति संकट के चलते पिछले साल की तुलना में इलायची केनिर्यात में 15.17 की अच्छी-खासी गिरावट हुई है। नाम उजागर न करने की शर्त पर इस बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि न केवल वजन बल्कि इससे होनेवाली आय में भी गिरावट आयी है।
कीमत के लिहाज से यह गिरावट 8.21 फीसदी की है। अब इसका निर्यात कम होकर 30.66 करोड़ रुपये रह गया है। मसालों की रानी कही जानेवाली इलायची के मूल्य में भी साल 2006-07 के बाद तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इलायची का औसत नीलामी मूल्य तब से अब तक दोगुना होकर 600 करोड़ रुपये प्रति किलो हो गया है। इसकी वजह इसके उत्पादन में होनेवाली गिरावट भी है।
इस दौरान इसके उत्पादन में 13.44 फीसदी की गिरावट हुई है। इलायची उत्पादक क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम की वजह से अब इसका उत्पादन घटकर 9725 टन रह गया है। उनके मुताबिक, निर्यात में होनेवाली यह गिरावट छोटी और बड़ी दोनों ही किस्मों में हुई है। पर सबसे ज्यादा गिरावट छोटी इलायची में दर्ज की गयी है।
छोटी इलायची में 35 फीसदी की जबकि बड़ी इलायची में 7 फीसदी की कमी हुई है। कमी के बाद छोटी इलायची का निर्यात 365 टन जबकि बड़ी इलायची 1200 टन रह गया है।