उर्वरकों की किल्लत ने केरल सहित पूरे दक्षिण भारत में इलायची की फसल को तगडा नुकसान पहुंचाया है।
केरल का हाल यह है कि वहां इस समय फैक्टमफोस की जबरदस्त कमी है। पिछले तीन से चार हफ्तों से चल रहे उर्वरकों की इस किल्लत के चलते इलायची की फसल को बीच सीजन में ही गहरा धक्का लगा है।
राज्य का हाल यह है कि गंधक (सल्फर) की कीमत में जबरदस्त वृद्धि होने के चलते स्थानीय उत्पादक कंपनी फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स ट्रावणकोर (एफएसीटी) ने कुछ महीने पहले अपना उर्वरक उत्पादन ही बंद कर दिया। इसके कारण केरल समेत दूसरे दक्षिणी राज्यों में रासायनिक उर्वरकों की गंभीर किल्लत हो गई है। इसका सबसे बुरा असर इडुक्की जिले में लगी इलायची की फसल पर पड़ा है।
वहां के सुदूर पठारी इलाकों में चूंकि परिवहन व्यवस्था महंगी है इसलिए इलायची पैदा करने वाले इस इलाके में उर्वरकों की कमी सबसे ज्यादा है। एक इलायची उत्पादक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उर्वरकों का काफी बड़ा हिस्सा इलाके में पैदा होने वाले अनानास जैसे दूसरे फसलों में खप जाता है। उनके अनुसार, इलायची और दूसरे मसालों की खेती के लिए उर्वरकों की कीमत में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी एक गंभीर समस्या है।
हालांकि रासायनिक खादों की कमी के बावजूद इसकी फसल अनुमान से थोड़ी बेहतर हुई है। इसकी वजह गर्मी के मौसम में अच्छी बारिश का होना है। इलायची की हार्वेस्टिंग जुलाई में रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है जबकि इसकी नीलामी और बिक्री भी 1 जुलाई से शुरू होना है। इसकी शुरुआती फसल तो बाजार में आ भी गई है हालांकि इसकी आवक अभी कम है।
इसकी सबसे बढ़िया क्वालिटी की कीमत 600 रुपये प्रति किलोग्राम है जबकि औसत क्वालिटी का भाव 500 रुपये प्रति किलोग्राम है। इडुक्की के विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों से प्राप्त खबरों में कहा गया है कि इस समय इसकी फसल अनुमान से बेहतर दिख रही है पर इसके अंतिम उत्पादन अनुमान के बारे में अभी कुछ भी कह पाना जल्दबाजी होगी।
पिछले साल तो जबरदस्त गर्मी और सूखा पड़ने से इलायची की फसल का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो गया था लेकिन बेहतर बारिश की वजह से इस साल इसकी उपज में 10 से 20 फीसदी की बढ़त होने का अनुमान जताया जा रहा है। इस साल समय पर हुई बारिश ने तो इलायची की पैदावार में जान ही डाल दी है।
पिछले साल के भंडार के अब तक बेचे जाने से इलायची का जमा स्टॉक तो लगभग खाली ही हो गया है। इलायची के स्टॉक के थोड़ा बचने और इसकी शुरुआती उपज की सीमित आवक के चलते अधिकांश बिक्री केंद्र इस ऑफ सीजन में अब तक बंद पड़े हैं।