शेयर बाजार के उलट कमोडिटी बाजार में बढ़त

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 12:00 PM IST

शेयर बाजार हिचकोले खा रहा है। सेंसेक्स लगातार गिर रहा है। लेकिन मंदी के इस दौर में भी एक बाजार उफान पर है।


जी हां, बात हो रही है कमोडिटी यानी जिंस बाजार की। यहां सरसों व सोयाबीन से लेकर सोने व चांदी तक, सभी के बाजार आसमान पर है। सटोरिए इन दिनों जिंस बाजार को सबसे सुरक्षित जगह मान रहे हैं। बाजार विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में जिंस कारोबार सातवें आसमान पर होगा।

कार्वी कॉमट्रेड के उपाध्यक्ष अशोक मित्तल कहते हैं, ‘यह तो शुरुआत है। पहले जिंस बाजार मूल कारोबारी या आम उपभोक्ताओं का बाजार था जो अब सटोरियों व निवेशकों का हो चला है। जिस तरीके से कच्चे तेल व अन्य कई जिंसों की मांग व आपूर्ति में खाई आ गयी है उसे देखते हुए  निवेश तो बढ़ता ही जाएगा।’ वे यह भी कहते हैं कि बढ़ती महंगाई के साथ तालमेल रखने के लिए लोग सोने व चांदी में जमकर निवेश कर रहे हैं। देश की दो बड़े जिंस एक्सचेंज एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स के कारोबार में पिछले एक पखवाड़े में लगभग 12,000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है।

वहीं शेयर बाजार गिरावट के साथ 13 हजार अंकों के स्तर पर आ गया है। गत 10 जनवरी को शेयर बाजार 21,000 अंकों के स्तर को पार कर गया था। गत 9 जुलाई को एमसीएक्स का कुल कारोबार 18,000 करोड़ रुपये का था जो 15 जुलाई को लगभग 28,000 करोड़ रुपये का हो गया। वैसे ही, एनसीडीईएक्स ने गत 1 जुलाई को 2001.44 करोड़ रुपये का कारोबार किया था जो 16 जुलाई को 3185 करोड़ रुपये का रहा। एमसीएक्स के एक पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘शेयर बाजार भरोसेमंद नहीं रहा।

लगातार टूटते बाजार व रियल एस्टेट में छायी मंदी के कारण जिंस बाजार सटोरियों की पहली पसंद बनती जा रही है।’ एक विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि वामपंथी दलों द्वारा सरकार से समर्थन लेने के कारण भी जिंसों के वायदा कारोबार में उछाल आया है। उन्होंने बताया कि अब सरकार रहे या न रहे वामदलों के हाथ में सत्ता नहीं आने जा रही है।

ऐसे में जिंसों के वायदा कारोबार पर पाबंदी की उम्मीद लगभग खत्म हो गयी है। गौरतलब है कि दो महीने पहले चार खाद्य जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कुछ सटोरियों का कहना है कि शेयर बाजार में कल क्या होगा कोई नहीं जानता है, लेकिन सब जानते हैं कि कच्चे तेल से लेकर खाद्य तेलों तक की मांग आपूर्ति के मुकाबले अधिक है। ऐसे में उनका पैसा हर हाल में कुछ मुनाफा देकर ही जाएगा।

First Published : July 17, 2008 | 11:58 PM IST