हुई बारिश, तो कपास को लग गया रोग…

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 6:43 AM IST

मानसून के आगमन से धान किसानों का दिल भले ही गदगद हो गया है, लेकिन कपास उत्पादकों की नींद हराम हो गई है।


बारिश के बाद नमी बढ़ने से कपास की फसलों पर कीटाणुओं ने हमला बोल दिया है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर समय रहते नहीं चेता गया तो कपास उत्पादन के मामले में भारत दूसरे स्थान से फिसल कर तीसरे स्थान पर जा सकता है।

इस साल भारत ने कपास उत्पादन में अमेरिका को पछाड़ दूसरा स्थान हासिल किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि समस्त कीट प्रबंधन (आईपीएम) ही कपास की फसल को बचाने का एकमात्र उपाय है। मुंबई के माटुंगा स्थित केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक (वरिष्ठ श्रेणी) चित्रनायक सिन्हा के मुताबिक, भारत में 90 लाख हेक्टेयर जमीन पर कपास की खेती की जाती है। इनमें से 25-30 फीसदी जगहों पर कीट प्रबंधन के कोई उपाय नहीं हैं।

बारिश के बाद मौसम खुलने से और आर्द्रता बढ़ने से कपास में लगने वाले कीटाणु काफी सक्रिय हो जाते हैं और इस मौसम में यही हो रहा है। पंजाब व महाराष्ट्र में इस प्रकार के कीटाणुओं के लगने की शिकायत मिलनी शुरू हो गई है। पंजाब में मुख्य रूप से ‘मिली बग’ नामक कीटाणु तो अन्य जगहों पर जेसेड, व्हाइट फ्लू व ऐफेड नामक कीटाणु इस मौसम में कपास की फसल को बर्बाद करते हैं।

वे कहते हैं कि निर्यात प्रोत्साहन के कारण पिछले पांच सालों में भारत में कपास का उत्पादन दोगुना हो गया है। 2007-08 के दौरान भारत में कपास का उत्पादन 310 लाख बेल (1 बेल = 170 किलोग्राम) रहा और अगले साल इसके उत्पादन में और बढ़ोतरी की उम्मीद है। लेकिन समय रहते इन कीटाणुओं को नहीं रोका गया, तो उत्पादन स्तर प्रभावित हो सकता है।

वर्ष 2007-08 के दौरान गुजरात में सबसे अधिक 110 लाख बेल कपास का उत्पादन हुआ। दूसरे व तीसरे स्थान पर रहने वाले महाराष्ट्र में 60 लाख बेल तो पंजाब में 24 लाख बेल कपास का उत्पादन हुआ। लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कीटनाशक विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले साल भी पंजाब के कई जिलों में मिली बग नामक कीटाणुओं ने कपास की फसल पर हमले बोल दिए थे। इस साल फिर से कई जगहों पर इन कीटाणुओं को देखा जा रहा है।

उनका कहना है कि इन कीटाणुओं से बचने के लिए कीटनाशक के साथ किसानों को कपास के खेत के पास ज्वार, बाजरा व मक्के की फसल उगानी चाहिए। सिन्हा के मुताबिक मिली बग को मारने के लिए किसानों को स्पाइरोटेक्ट्रमैट नामक कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए। 

कपास में कीट

नमी बढ़ने से कपास की फसल पर कीटाणुओं ने बोला हमला
25-30 फीसदी कपास उत्पादक इलाकों में कीट प्रबंधन का नहीं है इंतजाम
पंजाब में ‘मिली बग’, तो अन्य जगहों पर जेसेड और व्हाइट फ्लू का खतरा
उत्पादन पर पड़ सकता है प्रतिकूल असर

First Published : June 19, 2008 | 11:39 PM IST