बुझ नहीं रही है कच्चे तेल की आग

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 12:40 AM IST

मामूली गिरावट के बाद कच्चे तेल की कीमतों में एक बार फिर आग लग गई है। कच्चे तेल की कीमतें  रेकॉर्ड 120 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गई हैं।


न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में जून में तेल के वायदा कारोबार में 1.2 फीसदी का इजाफा हुआ है और कीमतें 1.41 डॉलर बढ़कर 119.93 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई। 1983 में जबसे वायदा कारोबार शुरू हुआ है तब से अब तक यह तेल की कीमतों का सबसे बड़ा स्तर है।


कीमतों के बढ़ने की वजह बीपी द्वारा नार्थ सी में एक पाइपलाइन को बंद करना बताया जा रहा है। इसके अलावा नाइजीरिया में  पाइपलाइन पर हमले की वजह से सबसे बड़ तेल एवं गैस टर्मिनल से उत्पादन प्रभावित होना भी इसकी वजह बताई जा रही है।


दरअसल स्कॉटलैंड की ग्रैंगमाउथ रिफाइनरी में हड़ताल के  चलते बीपी ने अपनी फोर्टिस पाइपलाइन सिस्टम को बंद कर दिया है, जिससे आपूर्ति प्रभावित हुई है। गौरतलब है कि ब्रिटेन के कुल तेल उत्पादन में इसका हिस्सा तकरीबन 40 फीसदी का है। कल ही नाइजर डेल्टा में हुए हमले में पांच पुलिसकर्मी मारे गए हैं, यहां से 25 अप्रैल से उत्पादन में 50 फीसदी तक की कमी आई है।


जब 25 अप्रैल को हड़ताल की वजह से पाइपलाइन को बंद किया गया था तब तेल की कीमतों में 2.1 फीसदी का उछाल आया था और यह 118.52 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। दूसरी ओर ब्रेंट क्रूड में भी हड़ताल के बाद कीमतें में तेजी का रुख आया था।


विश्लेषकों का मानना है कि अब भी नजरें नाइजीरिया की ओर ही लगी हुई हैं। गर्मियों में गैसोलीन की मांग और बढ़ जाएगी ऐसे में अमेरिकी रिफाइनरियों को कच्चे तेल की जरूरत पड़ना लाजिमी है। नाइजीरिया अमेरिका को तेल का निर्यात करने वाले प्रमुख देशों में से एक है। 


कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया से जुड़े एक जिंस बाजार विशेषज्ञ का मानना है कि अभी बाजार की हालत बेहद पतली है इसलिए कीमतें स्थिर नहीं हैं। उनका मानना है कि फिलहाल जो उत्पादन प्रभावित हो रहा है, वो कुछ समय के लिए ही है।


ब्रैंगमाउथ रिफाइनरी की ओर से कहा गया है कि 29 अप्रैल से उत्पादन में बढोतरी शुरू होने की संभावना है। इसके बाद नॉर्थ सी को तेल की आपूर्ति बेहतर हो जाएगी।दरअसल नाइजीरिया के तेल की क्वालिटी बेहतर होने की वजह से ये रिफाइनरियों की पसंद बन चुका है। यहां के तेल में कम सल्फर होता है। अमेरिका यहां के तेल का 10 से 15 फीसदी तक आयात करता है।


नाइजीरिया में एक्सोन मोबिल कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने और पाइपलाइन पर हमले के  बाद से उत्पादन में 50 फीसदी की कमी आई है। एक विशेषज्ञ का मानना है कि नाइजीरिया से आपूर्ति कम होने की वजह से तेल की आपूर्ति और क्वालिटी दोनों ही प्रभावित हो रही हैं।


नॉर्थ सी और नाइजीरिया में उत्पादन में कमी आने की खबरों के बीच रूस और मैक्सिको से भी उत्पादन में कमी आने की खबरें आ रही हैं। गौरतलब है कि दोनों ही देश ओपेक के सदस्य नहीं हैं।


सिंगापुर के एक विश्लेषक का मानना है कि ब्रिटेन और नाइजीरिया की वजह से आपूर्ति में दिक्कतें आ रही हैं। उनका यह भी कहना है कि राजनीति और दूसरी कई चीजें कीमतों के बढ़ने के लिए जिम्मेदार हैं। डॉलर की कीमतों में गिरावट आने से निवेशक तेल की ओर मुखातिब हो रहे हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल न्यू यॉर्क में तेल के वायदा कारोबार में 79 फीसदी का इजाफा हुआ है।

First Published : April 28, 2008 | 11:46 PM IST