बढ़ती महंगाई और इसकी वजह से पैदा हुए राजनीतिक दबाव के चलते कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) के लागू होने में विलंब हो सकता है।
जानकारों के मुताबिक, इस साल के अंत या अगले साल तक सीटीटी का लागू हो पाना बड़ा मुश्किल है। गौरतलब है कि सीटीटी इस साल के बजट से शुरू होने वाला अकेला नया कर था। हालांकि केंद्रीय बजट 29 अप्रैल को ही संसद से पारित कराया जा चुका है, पर अभी तक इसके लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं की जा सकी है।
नॉर्थ ब्लॉक के सूत्रों के मुताबिक, अगस्त में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम इस कर को लागू करने से जुड़े सभी मामले की समीक्षा करेंगे और तय करेंगे कि क्या इसे लागू किया जाना चाहिए या नहीं! सूत्रों के मुताबिक, यदि यह तय भी हो जाए कि इस कर को लागू किया जाएगा, तो भी इस साल के अंत से पहले इसे लागू करवा पाना मुश्किल है। इस सूत्र ने बताया कि सीटीटी के बारे में निर्णय लेना राजनीतिक नेतृत्व के जिम्मे हैं जबकि अभी के आर्थिक हालात बहुत अच्छे नही हैं। अनाज समेत तमाम जिंसों की कीमतें फिलहाल आसमान को छू रहे हैं।
अधिकारी के मुताबिक, खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार सभी संभव उपाय कर रही है। सरकार ने अपने गोदामों को भरने के लिए किसानों से अनाजों की जमकर खरीदारी की है। यदि मौजूदा हालात में इस कर को लागू किया गया तो हो सकता है कि सरकार की सारी मेहनत पर पानी फिर जाए। वित्त मंत्रालय के इस अधिकारी ने बताया कि सितंबर से अक्टूबर तक खरीफ फसल के बाजार में आ जाने के बाद अच्छे आर्थिक हालात के चलते सरकार के लिए तब सीटीटी को लागू करवा पाना ज्यादा आसान रहेगा।
इधर सीटीटी के कुछ महीनों तक टल जाने के अनुमान से कारोबारियों को राहत मिलने की बात की जा रही है। इस कर के चलते अपने मार्जिन में काफी कटौती होने की बात करने वाले ये कारोबारी फिलहाल काफी खुश हो सकते हैं। जिंसों के वायदा कारोबार और ऑप्शन की खरीद करने वालों पर 0.017 फीसदी सीटीटी कर लगाए जाने का प्रस्ताव इस साल के बजट में किया गया था। सरकार को इस कर के जरिए लगभग 5,000 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान लगाया गया था।