मांग बढ़ने से बढ़ा जीरे का भाव
हाल-ए-कमोडिटी बाजार
बीएस टीम / July 14, 2008
आपूर्ति कम होने और घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मांग में तेजी आने के चलते पिछले हफ्ते जीरे की कीमत में वृद्धि हुई। कमोडिटी विशेषज्ञों को उम्मीद है कि जीरे के भाव में अगले हफ्ते भी तेजी आएगी।
ऐसा इसलिए कि जीरे की आवक का समय अब खत्म होने को है। गुजरात स्थित जीरे की मुख्य मंडी ऊंझा में इसकी आवक घटकर 3 हजार बोरियां रोजाना (1 बोरी=55 किलोग्राम) रह गई है। जबकि कुछ हफ्ते पहले तक के हालात ये थे कि जीरे की रोजाना आवक 10 हजार से 11 हजार बोरियां तक की थी।
ऐंजल कमोडिटीज के एक रिपोर्ट के मुताबिक, जीरा का वैश्विक उत्पादन 25 फीसदी घटने की उम्मीद है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पूरी दुनिया में जीरे की मांग में सुधार हुआ है और उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ हफ्तों में यह रफ्तार पकड़ लेगा। नैशनल कमोडिटी एंड डैरिवैटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में पिछले हफ्ते ठीक अगले महीने (अगस्त) के वायदा अनुबंध में 500 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आयी।
वहीं सितंबर महीने के वायदा अनुबंध में भी 600 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आयी है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि जीरे के वायदा भाव में अभी 500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक की तेजी आने वाली है। जुलाई अनुबंध वाले जीरे का भाव शनिवार को 12,528 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि पिछले हफ्ते यह 11,967 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर था।
इस तरह, सिर्फ एक हफ्ते में ही जीरे की कीमत में 4.69 फीसदी की तेजी आ चुकी है। सितंबर में डिलीवर होने वाले वायदा अनुबंध का भाव शनिवार को बंद होते वक्त 13 हजार को पार करते हुए 13,182 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पिछले हफ्ते इस अनुबंध का भाव 12,534 रुपये प्रति क्विंटल तक चला गया था।
ग्वार में मजबूती का दौर
ग्वार के वायदा सौदे में इस समय चल रहे मजबूती के दौर के आगे भी जारी रहने की गुंजाइश है। निर्यात मांग के मजबूत होने के चलते यह स्थिति बनी हुई है। ग्वार के मुख्य उत्पादक राज्य राजस्थान के हाजिर बाजार में ग्वार का भाव इस समय 1,870 रुपये से 1,900 रुपये के बीच बना हुआ है। इस बीच, मौसम विभाग द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिणी पश्चिमी मानूसन इस समय जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और जोधपुर के क्षेत्रों में सक्रिय है।
बारिश के अभाव में ग्वार की बुआई से वंचित रह गए इन क्षेत्रों में बारिश के बाद बुआई की प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में है। गौरतलब है कि अन्य फसलों की भांति बारिश भी ग्वार की कीमतों को निर्धारित करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। कमोडिटी जानकारों के मुताबिक, ग्वार की कीमतों में कमी होने की गुंजाइश बहुत ही कम है। इस सीजन में मानूसन के सामान्य रहने की भविष्यवाणी से ग्वार की संभावनाएं काफी अच्छी हैं।
हालांकि उत्पादन में बढ़ोतरी के जो अनुमान लगाए जा रहे हैं, निर्यात मांग में वृद्धि होने से सारे समीकरण पहले की ही तरह रहने की उम्मीद है। यानी उत्पादन से ज्यादा मांग। ऐसे में इसकी कीमत में तेजी के अनुमान जायज ही दिख रहे हैं। मौजूदा सीजन में इसके निर्यात के कम से कम 10 से 15 फीसदी तक बढ़ने की बात इसके जानकारों द्वारा कही जा रही है। इसकी बुआई अभी शुरू हो चुकी है।
खबर मिल रही है कि हरियाणा और उत्तरी राजस्थान में इसके रकबे में खासी बढ़ोतरी होने वाली है। नैशनल कमोडिटी एंड डैरिवेटिव्स एक्सचेंज में इस हफ्ते अगस्त डिलीवरी वाले सौदे का भाव 1,881 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पिछले हफ्ते यह अनुबंध 1.73 फीसदी कम यानी 1,849 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था।