भारत से लौह अयस्क के निर्यात में 20 प्रतिशत की कमी आई है। खनन मंत्रालय ने कहा कि भाडे में पिछले महीने 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी किए जाने के बाद इस तरह की गिरावट देखी जा रही है।
भारतीय खनिज उद्योग महासंघ (एफआईएमआई) के अध्यक्ष राहुल बलडोटा ने कहा कि लौह अयस्क का निर्यात करना भारतीय खननकर्मी के लिए मुश्किल हो गया है।15 प्रतिशत निर्यात कर और माल लदाई भाड़े में बढ़ोतरी और साथ ही वैश्विक बाजार में इस अयस्क की कीमतों में आई कमी से ये परेशानी पैदा हुई है।
भारत में कुल 2 करोड़ टन लौह अयस्क का उत्पादन होता है, जिसमें 1 करोड़ टन का निर्यात होता है और लगभग 85 लाख टन घरेलू इस्पात उद्योगों में खपत होता है। हालांकि बलडोटा ने निर्यात में गिरावट का सटीक आंकड़ा नहीं दिया , लेकिन उन्होंने कहा कि यह गिरावट 15-20 प्रतिशत के आसपास हो सकती है।
भारतीय खनन की सबसे बड़ी इकाई एफआईएमआई के मुताबिक पिछले कुछ महीने में लौह अयस्क के लदाई के लिए रेल भाड़े में भी 70 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि अकेले कर्नाटक में रेलवे से लौह अयस्क की लदाई कर बंदरगाह तक पहुंचाने की संख्या मात्र 1000 है, जो कुछ महीने पहले 20,000 थी।
बलडोटा ने कहा कि जब से रेल भाड़े में बढ़ोतरी हुई है, तब से बंदरगाह तक लौह अयस्क ले जाने के लिए सड़कों का इस्तेमाल किया जा रहा है और निर्यातक रेल से अपना माल ढुलाई रद्द करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि निर्यात कर और लौह अयस्क की लदाई भाड़े में बढ़ोतरी के कारण भारत के 10 अरब डॉलर का लौह अयस्क के निर्यात का बाजार पर संकट का बादल छाया हुआ है। परिचालन लाभ में भी इस कमी की वजह से गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि लाभ 30-35 प्रतिशत से गिरकर 10-12 प्रतिशत के आसपास रह गया है।