मार्च में कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेल के आयात में कमी की करने के बावजूद उपभोक्ताओं को राहत मिलती नहीं दिख रही है।
खाद्य तेल बनाने वाली बड़ी कंपनियां कीमतें कम करती दिखाई नहीं दे रही हैं। दूसरी ओर खाद्य तेल के जाने माने ब्रांड बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि आयात शुल्क में कटौती के बाद उन्होंने कीमतों में 8 से 16 फीसदी तक की कटौती की है।
हालांकि हकीकत इसके ठीक उलट है। खुदरा बाजार में इन कंपनियों के ब्रांडेड खाद्य तेल की कीमतों में 15 से 18 फीसदी का इजाफा हुआ है।गौरतलब है कि सरकार तेजी से बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए पुरजोर कोशिशें कर रही है।
ऐसे में खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार की कोशिशों को पलीता लगाने का काम कर रही हैं। खाद्य तेल रोजमर्रा के उपयोग वाली वस्तु है और इसकी बढ़ती कीमतें लोगों को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई ) में भी खाद्य तेल की 2.76 फीसदी हिस्सेदारी है। पिछले एक साल में खाद्य तेल की कीमतों में 25 फीसदी तक का उछाल आया है।
खाद्य तेल बनाने वाली प्रमुख कंपनी धारा के मूंगफली का तेल का भाव अप्रैल तक आते-आते 95 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया जबकि फरवरी में इसका भाव 95 रुपये प्रति किलोग्राम था। इससे यही बात सामने आती है कि महंगाई को रोकने की सरकारी कोशिशों में सहयोग नहीं कर रही हैं।
धारा वेजिटेबल ऑयल एंड फूड कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक एच सी विरमानी कहते हैं कि कंपनी ने अपने उत्पादों की कीमतों में 12 से 13 फीसदी तक की कटौती कमी की है। विरमानी का कहना है कि कंपनी ने मूंगफली और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में जो कमी की है वो इसलिए नजर नहीं आ रही है क्योंकि बाजार में अभी पहले का स्टॉक ही बिक रहा है।
ठीक इसी तरह सरसों कच्ची घानी की कीमतों में काफी उछाल आया है। फरवरी में एक किलो कच्ची घानी की कीमत जहां 95 रुपये थी वहीं अब जाकर इसकी कीमत 113 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। जयपुर की एस के सोल्वेक्स जो ‘कच्ची घानी’ ब्रांड नाम से सरसों के तेल के उत्पादन से जुड़े हैं, इस पर प्रतिक्रिया करने के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए।
फॉर्चून ब्रांड की मालिक अडानी एंटरप्राइजेज ने सूरजमुखी के तेल की कीमतों में 5 रुपये प्रति किलो की कमी की है। फिलहाल यह 90 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बिक रहा है। रूचि सोया इंडस्ट्रीज ने अपने न्यूट्रेला सोया ऑयल और रूचि गोल्ड पाम ऑयल की कीमतों में 10 से 14 फीसदी की कटौती की है।
कीमतों पर मची अफरातफरी की बाबत के एस ऑयल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी संजय अग्रवाल कहते हैं कि एक उत्पादक होने के नाते हम कीमतों में धीरे-धीरे ही कटौती करेंगे।