इस साल मौसमी का उत्पादन कम होने से दिल्ली की मंडियों में इसकी आवक में डेढ़ गुना गिरावट आई है।
आजादपुर सब्जी मंडी में मौसमी के थोक विक्रेताओं ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस समय मंडी में मौसमी की लगभग 400 से 500 टन मौसमी लेकर 50 गाड़ियां रोजाना महाराष्ट्र के जलगांव, जालना, अकोला व नागपुर और आंध्र प्रदेश के हैदराबाद से आ रही है।
मौसमी के थोक विक्रेता अशोक कुमार ने बताया कि मंडी में मौसमी की आवक का यह शुरुआती समय है। इसलिए अभी आवक कम है। आने वाले समय में इसकी आवक में कुछ बढ़ोतरी होगी लेकिन पिछले साल की तुलना में यह ज्यादा नहीं होगी। इसका कारण पिछले साल की तुलना में इस साल मांग का कम उठना है।
मांग कम उठने के कारण इसकी कीमत में भी गिरावट आ रही है। पिछले सप्ताह मौसमी का औसत मूल्य 1300 रुपये प्रति क्विंटल था, जो इस सप्ताह घटकर 1200 रुपये प्रति क्विंटल के आस-पास आ गया है। मौसमी के एक अन्य थोक विक्रेता विक्रम ने बताया कि इस समय मंडी में तीन नंबर (छोटी मौसमी)की मौसमी की आवक सबसे ज्यादा है। तीन नंबर की मौसमी की तुलना में 1 नंबर(बड़ी मौसमी) और 2 नंबर (मध्यम मौसमी)की आवक कम है। लेकिन आने वाले दिनों में 1 नंबर और 2 नंबर की आवक में बढ़ोतरी हो सकती है।
मौसमी की थोक ब्रिकी करने वाली कंपनी आर एस फ्रू ट ट्रेडर्स के राजेश ने बताया कि अगर आने वाले समय में पानी और बरस जाता है तो मौसमी की आवक में बढ़ोतरी हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले समय में मौसमी के दामों में और गिरावट आएगी। इस समय मंडी में मौसमी का खुदरा मूल्य 9 से 15 रुपये के बीच है। गौरतलब है कि देश में मौसमी का उत्पादन लगभग 5 लाख हेक्टेयर जमीन पर करीब 45 लाख टन के आस पास किया जाता है।
मुख्य तौर पर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दार्जिलिंग और पंजाब में मौसमी का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। इनमें से पंजाब अकेले ही मौसमी के कुल उत्पादन के 10 फीसदी के बराबर उत्पादन करता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि मौसमी के उत्पादन में कमी आने का सबसे बड़ा कारण अपर्याप्त और अंसतुलित उर्वरकों का इस्तेमाल तथा मिट्टी की अच्छी दशा का न होना है। साथ ही मौसमी के पेड़-पौधों को उत्पादन के लिहाज से पोषक तत्त्वों (लोहा,जस्ते)की होने वाली कमी भी है।