थाली से बैंगन छीनने के खिलाफ एकजुट हुए किसान

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 9:44 PM IST

जब देश खाद्यान्न संकट से जूझ रहा हो और खाद्य सुरक्षा का मसला काफी अहम हो गया हो तब अधिक उत्पादकता के नाम पर देश के पहले जीन संवर्द्धित खाद्य फसल बीटी बैंगन को अनुमति देना देश की खाद्य सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।


कोएलिशन फॉर जीएम फ्री इंडिया के बैनर तले राजधानी में एकजुट हुए किसान संगठनों ने यह आरोप लगाया है। मंगलवार को जीएम संवर्द्धित बीजों के खिलाफ मुहिम में दिल्ली के जंतर-मंतर पर सैकड़ों किसानों और अनेक संगठनों ने धरना-प्रदर्शन और प्रतिरोध मार्च आयोजित किया।


देश के पहले जीन संवर्द्धित खाद्य फसल बैंगन के बीटी बीज को अनुमति देने का कड़ा विरोध करते हुए किसानों ने बीटी बैंगन की अर्थी भी निकाली। देश को जीन संवर्द्धित बीजों से मुक्त करने की मांग करते हुए किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बाद में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन दिया। इस ज्ञापन में बीटी बीजों से होने वाले खतरनाक प्रभावों का जिक्र करते हुए सरकार से इसके परीक्षण को रोकने की मांग की गई।


कोएलिशन फॉर जीएम फ्री इंडिया की कविता कुरुंगांति ने दावा किया कि उन्हें देश के कई राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और मनोरंजन जगत से जुड़े लोगों का समर्थन हासिल है। वहीं फोरम फॉर बायोटेक्ॉलजी एंड फूड सिक्योरिटी के भास्कर गोस्वामी ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया कि जीन संवर्द्धित बीजों के खिलाफ लड़ी जाने वाली यह लड़ाई खेत से लेकर संसद, सड़क और न्यायालय जैसे कई मोर्चों पर लड़ी जा रही है, और यह आगे भी जारी रहेगी।


सम्मेलन को पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जीएम बीज के विकास और कारोबार से जुड़ी कंपनियां खेती नहीं करती पर वे ही दुनिया की खेती-किसानी को नियंत्रित करती हैं।


अमेरिका के खाद्य सचिव के बयान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका का मानना है कि अनाजों के जरिए दुनिया को नियंत्रित करना बहुत ही आसान है। ये जीएम बीज इसी सोची-समझी साजिश की परिणति है, इसलिए इन बीजों का बहिष्कार किया जाना चाहिए।

First Published : May 6, 2008 | 11:51 PM IST