कीमत तय करना सरकार के लिए आसान नहीं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 7:05 PM IST

कुछ खास वस्तुओं की कीमत सरकार तय करेगी, इन खबरों को लेकर शुक्रवार को दिल्ली के थोक बाजार में काफी हलचल रही।


कारोबारियों का कहना है कि सरकार ऐसा नहीं कर सकती है। अगर ऐसा कुछ होता है तो इससे कारोबारियों को बहुत बड़ा झटका लगेगा। पहले से ही व्यापारी वर्ग विभिन्न जिंसों की कीमतों में आए दिन होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण काफी नुकसान झेल रहे हैं।


बाजार में इन बातों की चर्चा गर्म है कि वित्त मंत्रालय ने कीमतों पर बनी कैबिनेट कमेटी को विभिन्न वस्तुओं की कीमतों को तय करने का सुझाव दिया है। यह सुझाव इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट 1951 के तहत दिया गया है। इस कानून की धारा 18जी के तहत सरकार को जरूरी वस्तुओं की कीमतें तय करने का अधिकार है।सदर बाजार के बुजुर्ग व्यापारी घनश्याम महाजन कहते हैं, ‘ऐसा तो खिलजी के शासन काल में हुआ था। लेकिन वह भी सफल नहीं हो पाया।


अब इस जमाने में जब हर वस्तुओं की कीमत महीनों पहले तय हो जाती है, ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं है।इस प्रकार के किसी भी कदम से कारोबारियों को काफी नुकसान हो सकता है। क्योंकि वे ऊंची कीमतों पर वस्तुओं की खरीदारी कर चुके होंगे।’ मध्यकालीन भारत में अलाउद्दीन खिलजी नामक राजा ने सभी वस्तुओं की कीमत तय कर दी थी। और उससे अधिक दाम लेने पर उस व्यापारी को सजा दी जाती थी।


बाजार के जानकारों का कहना है कि सरकार कैसे किसी वस्तु की कीमत तय कर सकती है। सभी राज्यों को जिंसों की खरीदारी व उसे स्टॉक करने का अधिकार है।अंतरराज्यीय निर्यात पर भी कोई पाबंदी नहीं है। फिर ऐसा कैसे संभव है। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक चावल, दाल व अन्य खाद्य जिंसों की खरीदारी कोई पैक्ड तरीके से नहीं होती है। इसकी खरीदारी तो मुजबानी होती है। सरकार ऐसा करती है तो मॉल व अन्य रिटेल स्टोर बंद हो जाएंगे।


दिल्ली ग्रेन मर्चेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि इस साल चावल का उत्पादन  ठीक-ठाक रहने की उम्मीद है। गेहूं की घरेलू उपज में कोई कमी नहीं है। ऐसे में गैरबासमती के निर्यात पर रोक लगाने व बासमती के निर्यात मूल्य को बढ़ाने से देसी स्टॉक मजबूत हो जाएगा। और फिर कोई कीमत निर्धारित की गई तो कारोबारियों के साथ किसानों को भी घाटे का सामना करना पड़ सकता है।


आयात शुल्क में कटौती की दो बार घोषणा के बाद खाद्य तेलों में बीते एक महीने के दौरान पहले से ही 20 रुपये प्रतिकिलो की गिरावट आ चुकी है। दिल्ली वेजिटेबल एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि यह बात ठीक है कि मूल्य में कमी से कोराबार की मांग मजबूत होती है और व्यापरियों को फायदा होता है। लेकिन ऐसा एक सीमा तक ही संभव है। अब अगर इसकी कीमत सरकार तय करती है तो यह निश्चित रूप से चालू कीमत से कम होगी जो हर व्यापारियों के लिए घाटे  का सौदा होगा।


बाजार में इस बात की भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि ऐसा करने से पहले सरकार को जरूरी वस्तुओं के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगानी पड़ेगी। इस बारे में एनसीडीइएक्स के पदाधिकारी ने बताया कि इस प्रकार की बातें सिर्फ अफवाह है। न तो सरकार वायदा पर रोक लगाने जा रही है और न ही कीमतों को तय करने। 

First Published : April 5, 2008 | 12:13 AM IST