पीतल की तरफ चले सोना व्यापारी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 12:03 PM IST

सोने के कारोबारी अब पीतल के कारोबारी बनने की ओर मुखातिब हैं। सोने के लगातार बढ़ते भाव ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है।


पिछले एक साल के दौरान सोने के कारोबार में 60 फीसदी तक की गिरावट आ गयी है। फिलहाल स्थिति सुधरती भी नजर नहीं आ रही है। कारोबारियों की उम्मीद के मुताबिक भाव स्थिर होने पर ही फिर से ग्राहकी निकल सकती है।

सदर बाजार सर्राफा असोसिएशन के प्रधान पवन झालानी कहते हैं, ‘लोग पुराने जेवरात पर पॉलिश करा अपने बेटे-बहू को दे रहे हैं। सोने से ज्यादा तो कृत्रिम जेवरात बिक रहे हैं। मुंबई का जौहरी बाजार कृत्रिम जेवरात का सबसे बड़ा हब बन गया है। जाहिर है असली सोने का बाजार कृत्रिम सोने की ओर शिफ्ट हो गया है।’ सिर्फ दिल्ली में 35-40 हजार पंजीकृत सर्राफा कारोबारी है और आधे से अधिक कारोबारी जबरदस्त घाटे का सामना कर रहे हैं।

झालानी कहते हैं, ‘क्या करेंगे कारोबारी, कुछ और रास्ता अख्तियार करेंगे। तीन महीने में सोने की कीमत 11,000 रुपये प्रति दस ग्राम से बढ़कर 13,000 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर तक पहुंच गई। ऐसे में असली खरीदारी तो गिर ही जाएगी।’ सर्राफा व्यापारियों के मुताबिक वायदा कारोबार के कारण सोने के भाव में रोजाना 200-300 रुपये तक का उतार-चढ़ाव हो रहा है। इस वजह से भी ग्राहकी नहीं निकल रही। सोने के आभूषण की बिक्री में गिरावट के लिए कारोबारी बदलते सामाजिक परिवेश को भी जिम्मेदार मानते हैं।

दिल्ली आभूषण निर्माता संघ के पूर्व अध्यक्ष अवधेश चंद्र कहते हैं, ‘आभूषण की जगह लोग कच्चे सोने में निवेश करने लगे हैं। अब लड़कियां खुद ही तय करती है कि उन्हें अपनी शादी में क्या लेना है या क्या नहीं। पढ़ी-लिखी लड़कियों के लिए लैपटॉप जेवरात से ज्यादा मायने रखता है।’ उन्होंने बताया कि पहले भारत में 800 टन सोने की खपत होती थी, जो 550-600 टन के आसपास रह गई है। यानी इसमें 30 फीसदी की कमी हुई है।

कारोबारियों का कहना है कि चांदी की बिक्री में भी कमी आई है।  7-8 साल पहले चांदी के भारी भरकम जेवरात बनते थे। उसकी जगह बर्तन ने ली और अब कच्चे रूप में चांदी की खरीदारी हो रही है। हालांकि कारोबारियों इस बात को भी कहते हैं कि आभूषण निर्माताओं के क्षेत्र को संगठित बनाने से निर्यात में बढ़ोतरी हो सकती है। उनके मुताबिक इटली के कारीगर आभूषण को नये रूप में ढालते हैं और उसकी मांग पूरे विश्व में है। वैसे ही भारतीय कारीगरों को भी प्रशिक्षित कर आभूषण को आधुनिक रूप देने के लायक बनाया जा सकता है।

First Published : July 19, 2008 | 12:15 AM IST