जहां एक ओर केंद्र सरकार स्टील निर्यात पर प्रस्तावित कर को हटाने की बात कर रही है।
दूसरी ओर इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट काउंसिल ऑफ पंजाब (ईईपीसी) का कहना है कि सरकार को इस बारे में नहीं सोचना चाहिए। काउंसिल इसके पीछे तर्क दे रही है कि यदि निर्यात कर को वापस ले लिया जाता है तो एक बार फिर से स्टील की कीमतें बढ़ सकती हैं।
और साथ ही यह लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योगों के हित में भी नहीं होगा। गौरतलब है कि अभी हाल ही में स्टील कंपनियों ने कीमतों में जो कटौती की है उसके एवज में ये कंपनियां स्टील के निर्यात पर प्रस्तावित 15 फीसदी का निर्यात कर हटाने की मांग कर रही हैं।
पंजाब में स्टील इनगोट की कीमतों में मिल रहा है। पंजाब में स्टील की कीमतें 33,800 रुपये प्रति मीट्रिक टन हैं और टीएमटी की कीमतें भी 46,000 रुपये प्रति टन से कम होकर 37,000 रुपये प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई हैं। ईईपीसी के क्षेत्रीय अध्यक्ष एस सी रहलान सरकार की निर्यात कर वृद्धि वाली अधिसूचना का स्वागत करते हैं।
उनका कहना है कि इस कदम से लघु उद्योग को राहत मिल जाएगी। रहलान का कहना है कि प्राइमरी स्टील और एच आर कॉयल्स के निर्यात पर प्रस्तावित निर्यात कर से घरेलू बाजार में आपूर्ति बेहतर हो जाएगी जिससे कीमतें भी नियंत्रण में रहेंगी।
ऐपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष पी डी शर्मा स्टील की बढ़ती कीमतों के लिए स्टील कंपनियों के गठजोड़ को जिम्मेदार ठहराते हैं। शर्मा कहते हैं कि देश में स्टील की मांग 13 फीसदी की दर से बढ़ रही है और उत्पादन में केवल 6 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है।