सीटीटी लागू हुआ तो होगा भारी नुकसान

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 6:02 AM IST

इंदिरा गांधी इंस्टिटयूट ऑफ डिवेलपमेंट रिसर्च (आईजीआईडीआर) की स्टडी में कहा गया है कि अगर सरकार ने कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) लागू किया तो सरकारी खजाने को करीब एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ेगा।


यह अलग बात है कि इस साल बजट पेश करते समय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सरकारी खजाने में कुछ और रकम भरने के रास्ते खोलने केलिए सिक्योरिटी ण ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) की तर्ज पर कमोडिटी बाजार में भी कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) लागू करने की बात की थी। इसे लागू करने के सरकारी प्रयासों को आईजीआईडीआर ने अपने अध्ययन में सही नहीं माना है।

अध्ययन के मुताबिक सीटीटी यदि लागू होता है तो सरकार को तकरीबन 1000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इंदिरा गांधी इंस्टिटयूट ऑफ डिवेलपमेंट रिसर्च की(आईजीआईडीआर) ने साफ तौर पर कहा है कि सीटीटी अगर लागू कर दिया जाता है तो बाजार खामियों से भर जायेगा। ब्रोकरों का विश्वास समाप्त हो जाऐगा । विदेश बांड मार्केट में जब ट्रांजेक्शन टैक्स लागू हुआ था, मार्केट का टर्नओवर 400 करोड़ रुपये यानी 10 फीसदी घट गया था।

उस समय मार्केट का टर्नओवर 4000 करोड़ रुपये था। कमोडिटी मार्केट में भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। एक्सचेंजों के विकास में रुकावटें आएंगी। डब्बा कारोबार बढ़ेगा और भारतीय कारोबारियों के सौदे इंटरनेशनल मार्केट की ओर मुखातिब हो जाएंगे। गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारें, जो डिलिवरी के समय ट्रांजेक्शन टैक्स, सेल्स टैक्स और ब्रोकरेज आदि से राजस्व अर्जित करती है, सीटीटी के लगने के बाद उसकी इस आय पर पानी फिर जाएगा।

कमोडिटी मार्केट में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से लगभग 10 लाख लोगों को रोजगार मिल हुआ है, उस पर भी खतर मंडरा सकता है। आईजीआईडीआर के इस अध्ययन पर सहमति व्यक्त करते हुए शेयर खान टे्रडिंग फर्म के शैलेन्द्र कुमार कहते हैं – आईजीआईडीआर ने अपने रिपोर्ट में जो बात आज कही है, उसको हम लोग उसी दिन से कह रहे हैं जब से सरकार ने इसको लागू करने का इरादा जताया था।

कमोडिटी वायदा बाजार को शुरू हुए अभी चार साल हुए हैं, इसकी तुलना शेयर बाजार मे कैसे की जा सकती है। इस कारोबार का टर्नओवर 10-15 करोड़ रुपये का ही है। महंगाई रोकने के नाम पर सरकार पहले से ही कई कृषि जिंसों केकारोबार पर रोक लगा रखी है, ऐसे में यदि सीटीटी भी लागू कर दिया जाता है तो इस कारोबार का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा और डब्बा ट्रेडिंग का बाजार में दबदबा हो जाएगा।

इस रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि सरकार सीटीटी से 680 करोड़ रुपये उगाहने का इरादा रखती है, जबकि इससे फिलहाल 68 करोड़ रुपये ही होने की उम्मीद है। शैलेन्द्र कहते है कि सरकार को अब अपना इरादा बदल देना चाहिये और इसको बढ़ावा देने के लिए कुछ सार्थक प्रयास करने चाहिये। उनका कहना है कि अभी मुश्किल से इस बाजार के लिए निवेशक मिल पाते है क्योंकि सरकार केकई कदम से निवेशक इस कारोबार से दूर रहने लगे हैं।

First Published : June 17, 2008 | 11:45 PM IST