कार्बन क्रेडिट के वायदे में ‘उजाला’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:41 AM IST

वैश्विक बाजार में कार्बन क्रेडिट की कीमतों में आई बढ़ोतरी के मददेनजर घरेलू वायदा बाजार में भी इसकी कीमतों में दो फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।


नेशनल कमोडिटी डेरीवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) में आज दोपहर एक बजे दिसंबर आपूर्ति वाले कार्बन क्रेडिट ने पिछले दिन की तुलना में दो फीसदी से ज्यादा बढ़कर।,269 रुपये प्रति सीईआर (कार्बन एमिशन रिडक्शन) पर कारोबार किया।

कार्वी कामट्रेड की विशेषज्ञ भावना ग्लोरी ने बताया, ”मजबूत अंतरराष्ट्रीय बाजार की तर्ज पर कार्बन क्रेडिट के वायदा बाजार में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।” उन्होंने बताया, ”पिछले पखवाड़े में कच्चे तेल के वायदा भाव ने 135 डालर प्रति बैरल की ऊंचाइयों को छुआ था।”

उन्होंने कहा कि पिछले पखवाड़े में कच्चे तेल वायदा की कीमत 135 डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। आज के शुरूआती कारोबार में न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज पर कच्चे तेल की जुलाई आपूर्ति की कीमत में थोड़ी कमी आई और यह 127.47 डॉलर रही। कार्बन क्रेडिट का वायदा मूल्य जो 27 मई को 1,283 प्रति सीईआर के सर्वोच्च स्तर पर था, कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी से लुढ़कना शुरु हो गया है।

हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि यद्यपि ऊर्जा मूल्य अभी अनिश्चितता की दौर से गुजर रहे हैं इसलिए सीईआर के मूल्य आने वाले दिनों में कुछ कम हो सकते हैं। सीईआर, क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म (सीडीएम) के एक्जिक्यूटिव बोर्ड द्वारा उत्सर्जन में कमी के लिए सीडीएम परियोजनाओं द्वारा प्राप्त और क्योटो प्रोटोकॉल के नियमों के तहत अनुमोदित जारी किए जाने वाले कार्बन क्रेडिट होते हैं।

कुल 295 भारतीय कंपनियां सीडीएम के साथ कार्बन क्रेडिट कारोबार के लिए पंजीकृत हैं। वर्ष 2007 में वैश्विक बाजार में छह प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत कार्बन क्रेडिट का दूसरा सबसे बड़ा विक्रेता है।    

माइल्ड स्टील इन्गॉट्स के वायदा भाव में कमजोरी

आज घरेलू वायदा बाजार में माइल्ड स्टील इन्गॉट्स में कमजोरी आई। इन अनुमानों के बीच कि वर्ष 2010-12 में देश में स्टील का उत्पादन दोगुना बढ़ कर 1200 लाख टन हो सकता है, ताजा बिकवाली के कारण मूल्यों में कमी देखी गई।

एनसीडीईएक्स पर माइल्ड सीट इन्गॉट्स के जुलाई करार के मूल्य दिन के 1.50 बजे 1.46 प्रतिशत कम, 31,330 रुपये पर किए जा रहे थे। जबकि जुलाई के करारों में 1.47 प्रतिशत की कमी आई और कारोबार 32,900 रुपये प्रति टन पर किया जा रहा था।

First Published : June 4, 2008 | 9:11 PM IST