पिछले हफ्ते के दौरान औसत से 33 फीसदी कम बारिश होने के मौसम विभाग के दावे के बाद शुक्रवार को मक्के के वायदा मूल्य ने एक नई ऊंचाई को छू लिया।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 18 जुलाई तक 4.10 करोड़ हेक्टेयर में मक्के की बुआई की गई है। जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 4.27 करोड़ हेक्टेयर में मक्के की बुआई हो चुकी थी। जानकारों के मुताबिक, कम बुआई होने से मांग की तुलना में आपूर्ति का समीकरण थोड़ा कड़ा हो जाएगा।
विश्लेषकों ने बताया कि बाजार नियामक की टिप्पणियों और रकबे में कमी होने के चलते उत्पादन में कमी होने की आशंका से मक्के के वायदा मूल्य में गुरुवार को लगभग 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो अधिकतम ऊपरी सीमा है। फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) के चेयरमैन ने बुधवार को कहा था कि और अधिक जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की एफएमसी की कोई योजना नहीं है। दिन के उत्तरार्ध्द में मुनाफावसूली के कारण विश्लेषक वायदा मूल्यों के कम होने का अनुमान लगा रहे हैं।
सबसे अधिक सक्रिय अगस्त के वायदा मूल्य में 0.99 प्रतिशत की बढ़त देखी गई और नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज पर इसका कारोबार 1,073 रुपये प्रति क्विंटल पर किया जा रहा था। सत्र की शुरुआत में इसने 1,085 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को छुआ था। हाजिर और वैश्विक बाजारों में कीमतों की मजबूती से वायदा मूल्यों को समर्थन मिल रहा है। आंध्र प्रदेश के निजामाबाद में हाजिर मूल्य 1,093 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सितेबर डिलीवरी वाले मक्के में हाल में आई गिरावट में सुधार हुआ और इसमें 8.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कारोबारियों के अनुसार, मक्के की कीमत में तब तक कमी नहीं आने की उम्मीद नहीं है जब तक नई फसल बाजार में नहीं आ जाती है। कारोबारियों के अनुसार, आने वाले दिनों में मांग में तेजी आएगी जबकि स्टॉकिस्ट या उद्योग के पास मक्के का कोई भंडार नहीं है।