बढ़ती लागत व चीन से मिलने वाली कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण संगमरमर उद्योग के निर्यात की चमक विदेशी बाजार मं। फीकी होती जा रही है। इसके निर्यात में पिछले एक साल के दौरान 30-40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है।
संगमरमर निर्यातक इस कमी के लिए सरकारी नीति को भी दोषी करार दे रहे हैं। संगमरमर के आयात को लेकर राजस्थान सरकार के नए कानून से उद्यमियों में रोष है। हालांकि संगमरमर के घरेलू बाजार में सालाना 7-8 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है।
राजस्थान चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रमेश चौधरी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पिछले कुछ महीनों के दौरान रुपये के मुकाबले डॉलर में आयी गिरावट के कारण निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर 39.50 रुपये के स्तर पर चला गया था। ऐसे में निर्यात के लिए पहले से दिए गए आर्डर की आपूर्ति उन्हें पुरानी दर से करनी पड़ी। चौधरी कहते हैं, ‘चीन की तकनीक व प्रशिक्षित श्रमिकों के कारण भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछड़ रहा है।
भारत में इस उद्योग से जुड़े श्रमिकों को प्रशिक्षित नहीं किया गया। जिसका खामियाजा उन्हें अधिक लागत के रूप में भुगतना पड़ रहा है।’ दिलचस्प बात यह है कि चीन भारत से ही सबसे अधिक मात्रा में संगमरमर का आयात करता है और उसे तैयार कर भारत के निर्यात बाजार में तेजी से सेंध लगा रहा है। भारत मुख्य रूप से मध्यपूर्व देश, इटली, चीन व अफ्रीकी देशों को संगमरमर का निर्यात करता है।
उदयपुर चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एमएल लुनावत ने बताया, ‘सरकार की तरफ से संगमरमर निर्यात के मामले में 1 फीसदी का भी विशेष लाभ नहीं दिया जाता है। आयात को लेकर राज्य सरकार के नए नियम में भी निर्यात को प्रोत्साहित नहीं िकया गया।’ नए नियम के मुताबिक घरेलू बाजार में 1 करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले संगमरमर कारोबारियों को 3000 टन संगमरमर आयात करने की छूट दी गयी है। उद्यमियों की शिकायत है कि इसमें निर्यात के टर्नओवर को नहीं जोड़ा गया।
असल में 1 करोड़ रुपये से अधिक का घरेलू कारोबार करने वाले उद्यमियों को उत्पाद शुल्क देना पड़ता है और उन्हें ही आयात की विशेष छूट दी गयी है। उद्यमियों के अनुमान के मुताबिक संगमरमर निर्यात का कारोबार 4000 करोड़ रुपये से अधिक का है। अकेले उदयपुर से लगभग 600 करोड़ रुपये का निर्यात होता है। विदेशी बाजार में मुख्य रूप से ग्रीन व ऑनेक्स संगमरमर की मांग है। वर्तमान में ग्रीन मार्बल की कीमत 8000-10,000 रुपये प्रति टन है तो ऑनेक्स की 7000-8000 रुपये प्रति टन।