सरसों की मांग में वृध्दि से गुजरात के बाजारों में इसकी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। सरसों की कीमतें बढ़ कर 600-605 रुपये प्रति 20 किलो पर पहुंच गई, यह इस सीजन में अब तक हुई सबसे अधिक वृध्दि है।
पिछले सात दिनों में गुजरात की विभिन्न मंडियों में सरसों की कीमत लगभग 40 रुपये प्रति 20 किलो बढ़ी है। फिलहाल इसकी कीमत प्रति 20 किलो 600-605 रुपये चल रही है।
उत्तरी गुजरात के दीसा के एक सरसों व्यापारी ने कहा, ‘तीन साल पहले सरसों के मूल्य में तेजी आई थी लेकिन उस दौरान मूल्य की उच्चतम सीमा प्रति 20 किलो 400 रुपये थी।’ दीसा गुजरात में सरसों का प्रमुख केंद्र है।
साल 2007-08 में भी किसानों को प्रति 20 किलो केवल 350-360 रुपये मिले थे। हालांकि, वर्ष 2008-09 के आरंभ से ही कीमतों में मजबूती देखने को मिली है। सीजन की शुरुआत में सरसों की कीमत प्रति 20 किलो लगभग 570 रुपये थी लेकिन केंद्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर लगाए जाने वाले आयात-शुल्कों में कटौती के बाद इसकी कीमतें घट कर 450-465 रुपये प्रति 20 किलो हो गई।
बाजार सूत्रों का कहना है कि बढ़ती मांगों के बीच फिलहाल आपूर्ति की कमी है। यही कारण है कि सरसों का मूल्य बढ़ कर सीजन में सबसे अधिक हो गया है। गुजरात राज्य नियंत्रित बाजार संघ के चेयरमैन नरायणभाई पटेल ने बताया, ‘पिछले तीन सालों में सरसों की खेती का क्षेत्र और उत्पादन में कमी आई है, जिसके कारण इसकी आपूर्ति में कमी देखने को मिल रही है।’ गुजरात नियंत्रित बाजार संघ गुजरात के 225 कृषि विपणन क्षेत्रों को मॉनिटर और नियंत्रित करता है।
ऐसा आकलन है कि भारत में सरसों का उत्पादन साल 2008-09 में 50 लाख टन होगा जबकि वर्ष 2007-08 में 68 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था। दिनेश पटेल ने कहा, ‘इस वर्ष उत्पादन में 15 से 18 लाख टन की कमी आई है। इसके अलावा पिछले वर्ष का स्टॉक इस साल की शुरुआत में कम था।’ बाजार से जुड़े लोगों का मानना है कि अगर सरसों की खेती के क्षेत्र में अगले वर्ष बढ़ोतरी नहीं हुई तो भविष्य में सरसों के मूल्य में तेजी का सिलसिला जारी रहेगा।