राशन की दुकानों पर अब दाल-गेहूं…

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 1:02 AM IST

बढती महंगाई को देखते हुए सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से अब दाल की बिक्री करने की योजना बना रही है।


इसके अलावा सरकार कुछ खास राशन की दुकानों पर चावल की जगह फिर से गेहूं के वितरण की तैयारी कर रही है। इस प्रस्ताव पर खाद्य विभाग विचार कर रहा है। इस बात की पूरी संभावना है कि देश के गरीब लोगों की खाद्य जरूरतों को देखते हुए इसे लागू कर दिया जाएगा।

वर्ष 2002 के अप्रैल से अबतक पीडीएस व अंत्योदय अन्न योजना के तहत लोगों को मिलने वाले अनाज की मात्रा प्रति परिवार 35 किलोग्राम के स्तर पर आ गयी है। महंगाई के मद्देनजर सरकार ने उपभोक्ता मामले विभाग को दाल की वितरण योजना पर विचार करने के लिए कहा है।

केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु ने अपना जवाब भेज दिया है जबकि अन्य राज्य अभी इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों ने 1.37 मिलियन टन दाल मंगाने का लक्ष्य रखा है। इनमें से 1.19 मिलियन टन दाल की आवक भी हो चुकी है। इसके अलावा सरकार ने पीडीएस के तहत खाद्य तेलों के वितरण की भी पूरी तैयारी कर ली है।

गत 31 मार्च को मूल्यों से जुड़ी सरकार की कैबिनेट कमेटी ने खाद्य तेलों की वितरण स्कीम को अपनी मंजूरी दे दी थी। इस मामले में देश के 10 प्रांतों ने सरकार से कहा है कि उन्हें प्रतिमाह 96,996 टन खाद्य तेल की जरूरत होगी।

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां 104,000 टन आरबीडी पामोलिन व कच्चे सोयाबीन तेल आयात कर रही है। इस माह के अंत में इन तेलों की डिलिवरी शुरू हो जाएगी। माना जा रहा है कि राशन की दुकानों से खाद्य तेलों के वितरण से घरेलू खाद्य तेलों की आपूर्ति सुधरने के साथ इसकी कीमत में भी गिरावट आएगी। 

अगले माह से तेल भी

खाद्य तेलों की धार एक बार फिर मजबूती का रुख कर सकती है। सरकार ने कीमत पर लगाम लगाने के लिए इसे राशन की दुकान यानी कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत बेचने का फैसला किया है।

पीडीएस के तहत इसकी कीमत बाजार मूल्य से लगभग 15 रुपये प्रति किलोग्राम कम होगी। नेफेड के माध्यम से सरकार 10 लाख टन खाद्य तेल का आयात कर रही है। उम्मीद की जा रही है जून महीने से पीडीएस के तहत लोगों को खाद्य तेल मिलने लगेंगे। इधर तेल के थोक व्यापारियों का कहना है कि अक्तूबर-नवंबर तक सरसों तेल की कीमत में 10 रुपये प्रति किलोग्राम तक का इजाफा हो सकता है।

उनका कहना है कि सरसों का स्टॉक बहुत ही कम है और जो खरीदारी हो रही है वह ऊंचे भाव पर हो रही है। सरसों का उत्पादन भी पिछले साल के मुकाबले कम है। नेफेड के अधिकारी कैलाश जेना कहते हैं, ‘उनके पास सरसों का स्टाक मात्र 50 हजार टन का है। पिछले साल मात्र 20 हजार टन सरसों की खरीदारी हुई।’ इस मौसम में पिछले साल के मुकाबले 10 लाख टन कम सरसों की पैदावार हुई।

बीते फरवरी-मार्च महीने के दौरान जब खाद्य तेलों में तेजी थी तब व्यापारियों ने सरसों तेल का अधिकतम स्टॉक निकाल दिया। व्यापारियों के मुताबिक इस दौरान 10-12 लाख टन सरसों तेल की बिकवाली की गयी। उनका यह भी कहना है कि सोया तेल के वायदा कारोबार पर पाबंदी के बाद सटोरियों का ध्यान सरसों की ओर हो गया है। नवंबर महीने के लिए सरसों की खरीदारी 3350 रुपये क्विंटल के भाव पर हुई है।

फिलहाल बाजार में सरसों की कीमत 2900 रुपये प्रति क्विंटल है। यानी कि नवंबर महीने के वायदा भाव व फिलहाल के बाजार भाव में 450 रुपये प्रति क्विंटल का फर्क का आ गया है। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मी चंद अग्रवाल के मुताबिक डालर के मुकाबले रुपये के कमजोर से सोया तेल का आयात भी महंगा पड़ रहा है।

सोया तेल का आयात महंगा होने से इसका असर सरसों तेल पर पड़ना लाजिमी है। डिवोटा के मुताबिक पिछले दस दिनों के दौरान सरसो तेल में 2 रुपये प्रति किलोग्राम की तेजी दर्ज की गयी है।

First Published : May 22, 2008 | 2:02 AM IST