दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता भारत समेत अन्य देशों में भी हाजिर कारोबारियों की ओर से अच्छी खरीदारी के अभाव में अनुमान लगाया जा रहा है कि इस हफ्ते सोने की कीमत में कमी आएगी।
इसके अलावा, सोने की कीमत में कमी आने की वजह दुनिया भर के वायदा बाजारों में इसके कारोबार में आई मंदी है। कॉमैक्स और टोकॉम में जून डिलीवरी के वायदा सौदे की समाप्ति की तारीख अगले हफ्ते खत्म हो रही है। पुष्पक सर्राफा के केतन श्रॉफ के मुताबिक सोने के वायदा कारोबार का अंतिम हफ्ता चलने के कारण हो सकता है कि इसके कारोबारी अपने भंडार को खाली करें।
वैश्विक स्तर पर, वायदा बाजार को खतरे से निपटने के लिए एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। खासकर उन मामलों में जिनमें ओपन पोजीशन के एक फीसदी से भी कम की डिलीवरी होती है। फिलहाल घरेलू बाजार में सोने के उपभोक्ता सोने की ताजी खरीदारी से खुद को दूर ही रख रहे हैं। इसकी वजह उनकी यह धारणा है कि सोने की कीमत का मौजूदा स्तर अस्थायी है और इसमें गिरावट जरूर आएगी।
पिछले हफ्ते सोने का रेकॉर्ड 930 डॉलर प्रति आउंस तक पहुंचने के बावजूद सट्टेबाजों के लिए सोना अभी भी स्वर्ग बना हुआ है। ऐसा इसलिए कि दक्षिण अफ्रीका से सोने की होने वाली आपूर्ति में व्यवधान पहुंच रहा है। जानकारों की मानें तो सोने की कीमत में बढ़त का कारण कच्चे तेल की कीमत में आयी तेजी और अन्य मुद्रा की तुलना में डॉलर में आयी कमजोरी है।
अभी अरब देशों पर दबाव बनाया जा रहा है कि कच्चे तेल की आपूर्ति में वृद्धि की जाए ताकि तेल की कीमत में होने वाली बढोतरी से महंगाई पर अंकुश लगाया जा सके। श्रॉफ ने बताया कि जैसे ही आपूर्ति बढ़ती है और इसकी वजह से महंगाई पर नियंत्रण होता है तो डॉलर में भी इसके चलते मजबूती आएगी। डॉलर में मजबूती आने से तय है कि सोने की कीमत पर इसका उल्टा असर होगा और कीमतें घटेंगी।
देश की एक शीर्ष शोध संस्था के एक विश्लेषक ने बताया कि हालांकि निकट भविष्य में सोने की कीमत 931 से 956 डॉलर प्रति आउंस के बीच झूलती रहेगी पर हो सकता है कि इसमें मंदी का कोई रुझान इसके भाव को 763 डॉलर प्रति आउंस तक पहुंचा दे। बीएन वैद्य एंड एसोसियट्स के भार्गव वैद्य ने बताया कि आने वाले महज दो से तीन हफ्तों में सोने की कीमत घटकर 888 डॉलर प्रति आउंस तक पहुंच सकती है। उनके मुताबिक, छोटी अवधि की तमाम बुनियादी चीजें सोने की कीमत में बढ़ोतरी के अनुकूल हैं।
उधर दक्षिण अफ्रीका से खबर है कि वहां जिंबाब्वे के खान मजदूरों के विरुद्ध हिंसा भड़कने से वहां के अधिकांश मजदूर सुरक्षा के लिए अपने देश पलायन कर चुके हैं। इससे सोने के उत्पादन पर खासा असर पड़ा है। पहले ही वहां के दो खदानों से सोने की आपूर्ति में कमी का अंदेशा जताया जा चुका है। पर वैद्य कहते हैं कि जल्द ही इन सभी अस्थायी रुकावटों का असर कम हो जाएगा और इसका सोने की कीमत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
मालूम हो कि पिछले हफ्ते सोने का भाव 3.5 फीसदी की मजबूती के साथ 928.25 डॉलर प्रति आउंस तक पहुच गया था। जहां तक भारत की बात है तो फिलहाल यहां के उपभोक्ताओं को दोहरी समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। एक, तो सोने के भाव में बढ़ोतरी हुई है वहीं, डॉलर की तुलना में रुपये में गिरावट आयी है।