वायदा बाजार से मिली तेल को मजबूती

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 7:14 PM IST

खाद्य तेल व्यापारियों ने खाद्य तेल के वायदा कारोबार पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा है कि इसकी वजह से प्रमुख खाद्य तेलों की कीमतों में उतारचढ़ाव देखने को मिल रहा है।


वायदा बाजार में खाद्य तेलों खासकर सोयाबीन तेल के दाम कम होने से विदेशों से इस तेल का आयात प्रभावित हो रहा है। एक प्रमुख तेल व्यापारी ने बताया कि सरकार ने खाद्य तेलों पर डयूटी समाप्त अथवा कम करके यह उम्मीद लगाई थी कि इससे सोयाबीन तेल का आयात बढ़ेगा, मगर जमीनी हकीकत यह है कि वायदा बाजार में मई-जून डिलिवरी के लिए सोयाबीन तेल की कीमत लगभग 56.69 रुपये प्रति किलो है जबकि तमाम खर्च सहित इसके आयात का मूल्य लगभग 60.40 रुपये बैठता है।


उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब वायदा बाजार में सोयाबीन सस्ती रखी गई हो तो ऐसे में कौन विदेशों से मंहगे दाम पर आयात को इच्छुक होगा। उन्होंने कहा कि कुछ सटोरिये अथवा व्यापारी नहीं चाहते कि विदेशों से खाद्य तेल का आयात हो, इसलिए जानबूझकर वायदा बाजार में कीमतों को कम रखने की कवायद की है। जब तेल का आयात नहीं होगा और मांग बढ़ेगी तब इसी तेल के दाम को बढ़ा दिया जाएगा। इससे अंतत: आम उपभोक्ता ही प्रभावित होंगे।


तेल व्यापारी ने कहा कि सोयाबीन के तेल बाजार पर सट्टेबाजों का बोलबाला हो गया है और वायदा कारोबार उनकी मदद ही कर रहा है जिससे किसानों के साथ साथ आम उपभोक्ता भी पिस रहा है।


उन्होंने कहा कि एक माह ही पहले इन सट्टेबाजों ने सोयाबीन का भाव 74 रुपये प्रति किलो कर रखा था। वायदा कारोबार को समस्याओं की जड़ बताते हुए उन्होंने इस कारोबार को प्रतिबंधित करने की मांग की, जिससे आम उपभोक्ता सहित तेल के वास्तविक कारोबार से जुड़े व्यापारी भी भाव के घटबढ़ के खेल से बच सकें और चैन की सांस ले सकें।


उन्होंने कहा कि असली समस्या तो सोयाबीन जैसे सॉफ्ट ऑयल में आती है, मगर कच्चे पाम ऑयल जैसे हार्ड ऑयल के आयात में कोई कमी नहीं आती है क्योंकि इसका वायदा कारोबार नहीं होता।


हमारे देश में लगभग 30 प्रतिशत खपत हार्ड ऑयल की है मगर आधे से अधिक मात्रा में सॉफ्ट आयल की खपत होती है, जिसमें सरसों, सूरजमुखी, बिनौला तेल और मूंगफली शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सोयाबीन तेल के बड़े सट्टेबाज इंदौर में बैठकर कीमतों में हेरफेरी का खेल खेलते हैं।  उन्होंने ऐसे व्यापारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।


तेल व्यापारी ने कहा कि जिस तरह से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1986-87 में तिलहन टेक्नॉलजी मिशन की स्थापना की थी और इसके कारण तिलहन के प्रति हेक्टेयर पैदावार में इजाफा हुआ था, वैसे ही अब सरकार को तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि हम खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।


एक अन्य प्रमुख राष्ट्रीय स्तर के तेल व्यापारी ने कहा कि अगर वायदा कारोबार न हो तो उपभोक्ताओं को पूरे साल उचित कीमत पर खाद्य तेल उपलब्ध होगा और फुटकर व्यापारी भी राहत की सांस लेंगे।


तेल व्यापार से जुड़े एक प्रमुख व्यवसाई ने कहा कि वायदा कारोबार में व्यापारियों को ज्यादा मार्जिन मनी नहीं देनी पड़ती और तेल व्यवसायियों के अलावा अन्य लोग भी इस वायदा कारोबार में आ जाते हैं।


उन्होंने मांग की कि तेल व्यवसाय से बाहर के लोगों का इसमें प्रवेश वर्जित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वायदा कारोबार में अगले पांच छह महीने के अनुमान के आधार पर कारोबार करने की छूट है। इस पर गौर करते हुए इस समय सीमा को एक या दो महीने किया जाना चाहिए।

First Published : April 7, 2008 | 1:44 AM IST