चक्रवात की आशंका कम होने से तेल में नरमी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 1:01 PM IST

मेक्सिको की खाड़ी में स्थित ऊर्जा उत्पादन इकाइयों पर डॉली चक्रवात के प्रभाव की आशंका घटने से आज एशियाई बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का रुख रहा।


डीलरों का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी के नए आसार दिखने से भी कच्चे तेल की कीमतों पर असर पड़ा है। आज सुबह के कारोबार में सितंबर डिलीवरी के लिए न्यू यॉर्क का लाइट स्वीट क्रूड का भाव 23 सेंट घटकर 128.19 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

वहीं दूसरी ओर, सितंबर डिलीवरी के लिए ब्रेंट नॉर्थ सी क्रूड का भाव 25 सेंट गिरकर 129.30 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया में कमोडिटी के विश्लेषक डेविड मूर ने कहा ‘तेल बाजार का मानना है कि मेक्सिको की खाड़ी में तेल उत्पादन पर डॉली का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है।’

डॉली के तटीय क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाने की आशंका से तेल निकालने वाली कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वहां से हटा दिया है। अमेरिकी घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन का एक चौथाई और प्राकृतिक गैस का 15 प्रतिशत मेक्सिको की खाड़ी के उत्पादन से आता है। कारोबरियों को भी आज आने वाली अमेरिकी ऊर्जा भंडार के साप्ताहिक रिपोर्ट का इंतजार था। प्लाट्स ऊर्जा सूचना प्रदाता द्वारा इकठ्ठा किए गए विश्लेषकों के मतानुसार अनुमान है कि अमेरिकी कच्चे तेल के भंडार में 19 लाख बैरल की कमी और गैसोलिन का भंडार 5,00,000 बैरल तक बढ़ने की संभावना है।

एनर्जी इन्फॉरमेशन एडमिन्सट्रेशन ने पिछले सप्ताह कहा था कि 11 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में कच्चे तेल का भंडार 30 लाख बैरल बढ़ कर 2,969 लाख बैरल हो गया है जबकि बाजार का अनुमान था कि कच्चे तेल के अमेरिकी भंडार में 22 लाख बैरल की कमी आएगी। डॉली के मद्देनजर तेल उत्पादकों ने अपना लगभग 4.7 प्रतिशत उत्पादन मेक्सिको की खाड़ी में बंद कर दिया है।

पेट्रेलिओस मेक्सिकानोस जो अमेरिका को कच्चे तेल की आपूर्ति करने के मामले में तीसरे स्थान पर है, ने मेक्सिको की खाड़ी के पश्चिमी हिस्से के ऑयल प्लैटफॉर्म से अपने 66 कर्मचारियों को वापस बुला लिया है। उल्लेखनीय है कि कैटरीना और रीटा नाम के भयंकर तूफान ने अगस्त 2005 में जब मेक्सिको की खाड़ी को प्रभावित किया था तो अमेरिका की तेल परिशोधन इकाइयां और प्लैटफॉर्म बंद हो गए थे। इससे तेल के उत्पादन पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ा था और तेल की कीमतें रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी।

First Published : July 23, 2008 | 11:11 PM IST