देश का खली निर्यात मई, 2008 में दोगुने से ज्यादा होकर 4.7 लाख टन पर पहुंच गया। वियतनाम और कोरिया की ओर से जबरदस्त मांग की वजह से निर्यात में यह बढ़ोतरी दर्ज की गई।
मुम्बई स्थित साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स असोसिएशन आफ इंडिया ने सोमवार को कहा ” मई, 2008 में खली का निर्यात 4.73 लाख टन दर्ज किया गया, जबकि मई, 2007 में खली का निर्यात 2.35 लाख टन था।”
असोसिएशन के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में खली का कुल निर्यात 65 फीसदी तक बढ़कर 11.1 लाख टन रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में कुल निर्यात 6.71 लाख टन था।
निर्यात के कारणों को सही बताते हुए सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स असोसिएशन के कार्यकारी निदेशक मेहता ने कहा, ‘पिछले एक वर्ष में सभी खाद्य तिलहनों की कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं।’ किसान भारतीय खली की बढ़ती मांगों से खुश हैं। पश्चिम एशिया की तरफ से इसकी मांग विशेष रुप से अधिक है।
मेहता ने कहा, ‘अब लदाई में कमी आएगी क्योंकि तेल-वर्ष के बाकी समय में खली की उपलब्धता कम होगी।’ सोयाबीन की खली की कीमत आज प्रति टन बढ़ कर 432 डॉलर हो गई जबकि पिछले वर्ष मई में यह 272 डॉलर प्रति टन थी।