कच्चे तेल के बाजार में जबरदस्त सट्टेबाजी प्रवृत्ति के चलते कच्चे तेल की कीमत में एक बार फिर बढ़ोतरी होने लगी है।
गौरतलब है कि एक हफ्ते पहले कच्चे तेल की कीमत में रेकॉर्ड कमी हो गई थी। इसके बावजूद ओपेक ने अपना उत्पादन बढ़ाने से इनकार कर दिया है। ओपेक के अध्यक्ष और अल्जीरिया के तेल मंत्री चकीब खलील ने कहा कि तेल की आपूर्ति पर्याप्त है, लिहाजा तेल का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत नहीं है।
सऊदी अरब के तेल मंत्री अली अल-नैमी ने सोमवार को जल्द ही एक बैठक बुलाने की बात कही है। इस बैठक में तेल की रेकॉर्ड कीमत से उपजी स्थितियों से निपटने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। वहां के सुल्तान ने अपने एक वक्तव्य में कहा है कि कच्चे तेल की कीमत में होने वाली यह वृद्धि बाजार की आधारभूत चीजों के लिहाज से ठीक नहीं है।
उधर सिडनी की एएमपी कैपिटल इन्वेस्टर्स के सलाहकार शेन ओलिवर ने बताया कि तेल कीमत की मौजूदा वृद्धि को सिर्फ तेल की आपूर्ति और मांग के समीकरण से समझना संभव नहीं है। उनके अनुसार, इस वक्त बाजार में सट्टेबाजी की जबरदस्त भेड़चाल है। ऐसी स्थिति में निवेशक ज्यादा मुनाफा कमाने की चाह में मुनाफाखोरी को बढ़ावा दे रहे हैं। न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में जुलाई डिलीवरी के लिए कच्चे तेल में 95 सेंट की तेजी हुई और यह 135.30 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है।
ओलिवर ने बताया कि यदि कोशिश की जाए तो अगले 6 महीनों में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकते हैं। खलील ने अल्जीयर्स में कहा कि डॉलर के कमजोर होने और ईरान का पश्चिमी देशों के साथ नाभिकीय संवर्द्धन कार्यक्रम को लेकर चल रहे शीत युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमत में 70 डॉलर की तेजी आ चुकी है।
दुनिया की 40 फीसदी तेल का आपूर्ति करने वाले ओपेक के अध्यक्ष ने इस बात को सिरे से नकार दिया है कि कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाया जाना चाहिए। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नांके के बयान जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहे संकट के बादल अब छंट गए हैं, के बाद डॉलर में मजबूती आने लगी है।