डेढ़ करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले इस सीजन में 2 करोड़ टन गेहूं की खरीद होने की संभावना है।
यदि गेहूं की इतनी खरीद हो गयी तो इस साल देश को इसके आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी। कृषि और खाद्य मंत्री शरद पवार ने सोमवार को यह जानकारी दी। मालूम हो कि पिछले दो सालों से देश में गेहूं का आयात हो रहा है। पर इस साल सरकारी खाद्य एजेंसियों द्वारा गेहूं की पर्याप्त खरीद की गई है।
इस साल गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य 1.5 करोड़ टन रहा है। उम्मीद है कि सरकारी खाद्य एजेंसियां इस साल लक्ष्य से अधिक यानि 2 करोड़ टन के आसपास गेहूं की खरीद कर सकती हैं। सीआईआई के एक समारोह में दिया गया कृषि मंत्री का यह बयान इसी हालात के मद्देनजर आया है।
उन्होंने कहा कि उनका यह आकलन विभिन्न राज्य सरकारों और एफसीआई से मिले रपटों पर आधारित है। पवार ने कहा कि पिछले शनिवार तक 1.85 करोड़ टन गेहूं की खरीद हो पायी थी। एक सवाल कि 2 करोड़ टन की खरीद के बाद क्या गेहूं की खरीद रोक दी जाएगी के जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि इसकी खरीद को रोका नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा कि गेहूं की खरीद इसके बाद भी जारी रहेगी और पहले से तय समय तक इसकी खरीदारी होगी। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद 15 मई के बाद भी जारी रह सकती है जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में 15 जून तक इसकी खरीद बंद हो जाएगी।
2006 में तो गेहूं की सरकारी खरीद 92 लाख टन तक गिर गयी थी। तब अपने बफर स्टॉक और जनवितरण प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए देश को 55 लाख टन गेहूं का आयात करना पड़ा था। 2007 में बहुत ही ऊंची कीमत पर 18 लाख टन गेहूं का आयात करना पड़ा था।
इस साल गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य 1.5 करोड़ टन था पर केवल 1.1 करोड़ टन गेहूं की ही खरीद हो पायी थी। पंजाब और हरियाणा सरकार की कोशिशों और गेहूं की बंपर पैदावार के चलते इस साल की स्थिति बहुत ही बदली हुई है। और तो और इस साल गैर-परंपरागत राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के योगदान में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
पिछले साल के 7.481 करोड़ टन गेहूं उत्पादन की तुलना में इस साल उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है और यह 7.678 करोड़ टन तक जा पहुंचा है। अब तक सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादन का रेकॉर्ड 1996 का है तब 7.637 करोड़ टन गेहूं पैदा किया गया था।