आलू का निकल रहा दम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 10:04 AM IST

आलू का बाजार नहीं संभल पा रहा है। पिछले दो महीनों से आलू औंधे मुंह गिरा पड़ा है। इस दौरान प्याज व टमाटर फिर से ठोस हो गया।


लेकिन हिमाचल से निकलने वाली आलू की नयी फसल ने पहले से सोये आलू को लगभग बेहोशी की हालत में ला दिया है। आलू के वायदा कारोबार पर पाबंदी ने आलू को सुलाने में नींद की गोली का काम किया। मंडी में आलू की आवक पिछले साल के मुकाबले 35-40 फीसदी ज्यादा हो रही है।

आलू का बाजार सिर्फ उत्पादक राज्यों में ही नहीं खराब हुआ है। अन्य प्रदेशों में भी आलू की कीमत में भारी गिरावट दर्ज की गयी है। उत्तर प्रदेश में आलू की बंपर पैदावार के कारण मई के आरंभ में आलू धड़ाम से गिर पड़ा। और अभी तक संभल नहीं पाया है। आलू व्यापार संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक अब तो आलू में फुर्ती की कोई उम्मीद नहीं है। दिल्ली की मंडी में उत्तर प्रदेश से 80-90 ट्रक अलावा हिमाचल से 10-15 ट्रक रोजाना आलू की आवक जारी है।

दिल्ली की मंडियों में पिछले साल जून महीने के दौरान 28441 टन आलू की आवक हुई थी। इस साल जून में 35 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ यह आवक 35,783.2 टन के स्तर पर पहुंच गयी। जुलाई महीने में मात्र छह दिनों के दौरान 8639 टन आलू की आपूर्ति की जा चुकी है। पिछले साल जुलाई महीने में कुल 11,805 टन आलू की आवक हुई थी। पिछले साल के मुकाबले आलू की कीमत में लगातार तीन महीनों से गिरावट का दौर जारी है। आलू में कोई मजबूती नहीं आ रही है।

जून व जुलाई के पहले सप्ताह तक उत्तर प्रदेश में 43 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में 35 फीसदी, गुजरात में 36 फीसदी, हरियाणा में 29 फीसदी, पंजाब में 38 फीसदी तो राजस्थान में 46 फीसदी की गिरावट आयी है। वर्ष, 2007 के जून माह के दौरान गुजरात व हरियाणा में इसकी कीमत 875 व 595 रुपये प्रति क्विंटल थी तो इस साल की समान अवधि के दौरान इसकी कीमत दोनों जगहों पर क्रमश: 523 व 439  रुपये प्रति क्विंटल रही। 

किसान व कारोबारी कहते हैं, ‘आलू का वायदा कारोबार जारी रहता तो यह नौबत नहीं आती।’ मई महीने में आलू के वायदा पर पाबंदी लगने से कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू जस के तस पड़े हैं। कोल्ड स्टोरेज पहले से ही भरे पड़े हैं। किसानों को उल्टा उस पर होने वाले खर्च वहन करने पड़ रहे हैं। कारोबारी के मुताबिक, बाजार रुख से साफ है कि इस साल तो आलू के किसानों को कोई मुनाफा नहीं होने जा रहा। एक बीघे में आलू उपजाने में किसानों को 5500 रुपये की लागत आयी है। जबकि एक बीघे में पैदा आलू को बेचने पर उन्हें लगभग 5000 रुपये की प्राप्ति हो रही है।    

First Published : July 9, 2008 | 11:47 PM IST