समय से पहले मानसून और बरसात के आने से भले ही खरीफ फसलों को फायदा पहुंचा हो पर इससे रसोई का खर्च बढ़ गया है।
वह इसलिए कि रसोई में इस्तेमाल होने वाली सबसे जरूरी चीज ‘नमक’ की कीमत बढ़कर 10 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गयी है। नमक के मुख्य उत्पादक राज्यों गुजरात और राजस्थान में तय समय से पहले मानसून आ जाने से नमक के उत्पादन और आपूर्ति पर काफी बुरा असर पड़ा है।
फिलहाल बाजार का हाल यह है कि महीन नमक 8 से 10 रुपये प्रति किलो के बीच मिल रहा है। असल कीमत नमक के ब्रांड पर निर्भर कर रहा है। जबकि मोटे नमक का भाव 3 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 4 रुपये प्रति किलो हो गया है। देश के केवल दो राज्य गुजरात और राजस्थान में ही कुल नमक का 85 फीसदी उत्पादन होता है। ये राज्य न केवल दूसरे राज्यों की जरूरतें पूरी करता है बल्कि देश से बाहर इसका निर्यात भी करता है।
कानपुर के कलक्टरगंज इलाके के कारोबारी सुरजीत गुलाटी ने बताया कि समय से पहले मानसूनी बारिश ने लगातार 15 दिनों तक नमक की आपूर्ति में व्यवधान खड़ा किया है। कानपुर में हर महीने नमक की औसत आपूर्ति 7,200 टन की होती रही है पर पिछले 22 जून से इसकी आपूर्ति ठप्प है। उनके मुताबिक, गुर्जर आंदोलन के चलते भी कई दिनों तक नमक की आपूर्ति रुक गई थी। इसका नमककी कीमत बढ़ाने में जबरदस्त योगदान है। बाजार विश्लेषकों की मानें तो नमक की आपूर्ति बाधित होने और कीमत में बढ़ोतरी होने का सबसे तगड़ा नुकसान चमड़े के कारोबारियों पर पड़ा है।