बरसात व बीमारी ने आम को किया परेशान

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 9:01 PM IST

इस साल फरवरी और मार्च में हुई बेमौसम बारिश ने कृष्णा जिले में आम की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाया है।


अनुमान लगाया जा रहा है कि इस तेज बारिश की वजह से आम की तकरीबन 50 से 60 फीसदी फसल नष्ट हो चुकी है। इससे आम खरीदने वाले मुश्किल में फंस गए हैं क्योंकि उन्होंने फसल की आधी कीमत पहले ही पेशगी के तौर पर आम के बाग के मालिकों को दे दी थी।


कई खरीदार तो इस दुविधा में फंसे हुए हैं कि वे बचे हुए बीमारी से  प्रभावित आमों को खरीदें या फिर बची हुई रकम का भुगतान करे बिना इस सौदे से हटे जाएं।परेशान किसान और  खरीदारों ने एशिया की सबसे बड़ी आम की मंडी नुन्ना में कई टन आम को लाकर पटक दिया है। वैसे इस साल फसल सामान्य तौर पर तो ठीक ही हुई थी।


जिले में 62,270 टन हेक्टेअर भूमि में प्रति हेक्टेअर के हिसाब से 8 टन आम की पैदावार का अनुमान है। लेकिन आम में मंगू नाम की बीमारी के लगने से लगभग 50 से 60 फीसदी आम काले पड़ गए हैं। इसकी वजह से कारोबारी और निर्यातकों को इसका सही भाव नहीं मिल रहा है।


आम का निर्यात करने वाले एक किसान के राधाकृष्णा कहते हैं कि इस साल बढ़िया पैदावार होने की उम्मीद थी। लेकिन बेमौसम बारिश ने सारा गणित ही बिगाड़ दिया। लगभग 6 दिनों तक चली बारिश की वजह से आम में बीमारी फैल गई जिससे इसका स्वाद भी खट्टा हो गया। आम की बेहतरीन किस्म माने जाने वाले बंगनपल्ली की कीमतों में भारी गिरावट आई है।


इसकी कीमतें 10,000-12,000 रुपये प्रति टन से घटकर 4,000 से 5,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई हैं। तोतापुरी और रसुला की कीमतों में भी कमी आई है। तोतापुरी की कीमतें गिरकर 2,000 से 4,000 रुपये प्रति टन और रसुला की कीमतें 2,000 से 3,000 रुपये प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई हैं। जिले के कुल आम उत्पादन में 80 फीसदी हिस्सेदारी (10 लाख टन)बंगिनापल्ली और तोतापुरी की होती है। जबकि 20 फीसदी हिस्सेदारी रसुला (1 लाख टन) की होती है।


दूसरी ओर बागवानी विभाग के अतिरिक्त निदेशक पी मधुसूदन इस स्थिति के लिए किसानों को ही जिम्मेदार मानते हैं। बाग के मालिक खरीदारों और निर्यातकों को फसल तो बेच देते हैं लेकिन बागों की ठीक तरह से देखभाल नहीं करते हैं। लगभग 40 फीसदी बाग बहुत पुराने हैं। विशेषज्ञ किसानों को अधिक पेड़ लगाने की सलाह देते हैं लेकिन किसान एक एकड़ में केवल 15 पेड़ ही लगाते हैं। 

First Published : May 3, 2008 | 12:28 AM IST