कच्चे माल की कीमतों ने किया स्टील कंपनियों की नाक में दम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 9:40 PM IST

स्टील बनाने में महत्वपूर्ण कच्चे माल के रूप में काम में आने वाले स्पंज आयरन के दामों में पिछले पंद्रह दिनों में 9 फीसदी की कमी आई है। इसके बावजूद भी 1 मार्च के बाद से इसकी कीमतों मे 24 फीसदी की बढोतरी आई है।


कई अन्य कच्चे पदार्थों के साथ-साथ स्पंज आयरन की कीमतों में पिछले महीने में खासी बढ़त देखी गई है। मार्च के तीसरे हफ्ते में इसकी कीमतें रिकॉर्ड 23,000 रुपये प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई थीं। स्टील बनाने में स्टील स्क्रैप के अलाव केवल स्पंज आयरन ही महत्वपूर्ण कच्चा माल है। और इसकी कीमतें 21,000 से 25,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई थीं।


बाद में सरकार ने इसमें हस्तक्षेप किया जिसके लिए सरकार को धन्यवाद देना चाहिए। स्टील निर्माताओं को सबसे ज्यादा स्पंज आयरन की आपूर्ति करने वाली मोनेट इस्पात लिमिटेड के विपणन महाप्रबंधक अमिताभ मुदगल कहते हैं कि दूसरे कई और कच्चे पदार्थों की कीमताें में असामान्य उछाल आया है। पिछले महीने पिग आयरन की कीमतें 30,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई थीं और फिलहाल 27,000 से 28,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई थी।


और स्टील स्क्रैप तो 24,000 रुपये की कीमत से दोगुने में भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कोकिंग कोल की कीमतें पिछले तीन-चार महीनों में 130 डॉलर प्रति टन से 300 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गईं और इस साल की शुरुआत से अब तक कोक की कीमतों में दोगुने का इजाफ हुआ है और इसकी कीमतें 600 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई हैं।


उन्होंने कहा कि इसको लेकर इस लिए हाय तौबा मची हुई है क्योंकि भारत की स्टील की मांग को पूरा करने में तकरीबन 10 लाख टन स्टील की कमी आ रही है। भारत में 5 करोड़ टन स्टील का उत्पादन होता है और देश में स्टील की मांग 5 करोड़ 10 लाख टन की है।भारत में लगभग 15 करोड़ टन उच्च श्रेणी (जिसमें 64 फीसदी से अधिक लोहे की मात्रा होती है) के लौह अयस्क की खपत है। दूसरी ओर देश से 9 करोड़ लंप्स(जिसमें 64 फीसदी से कम लोहा होता है) का निर्यात भी चीन को होता है।


जब भी भारत में कीमतें बढ़ने लगती हैं तो चीनी व्यापारी ऑर्डर में कटौती करने लगते हैं। इस तरह से इन व्यापारियों के दबाव से निर्यातकों को कीमतों में कमी करनी पड़ती है। मुदगल का कहना है कि चीनी कांट्रैक्ट प्राइस बाजार को मापने का सूचक नहीं होना चाहिए। उद्योग से जुड़े सूत्र का कहना है कि स्पंज आयरन निर्माताओं को पिछले कुछ समय से दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।


एक तरफ तो लौह अयस्क की कीमतों में बेतहाशा बढोतरी हुई है वहीं दूसरी ओर बिजली और भाड़े में भी वृद्धि हुई है। निर्माण क्षेत्र में इस पूरे शबाब पर है जिसकी वजह से स्टील की मांग में तेजी लाजिमी है। ऐसे में कच्चे माल की कम आपूर्ति से कीमतों पर तो फर्क पड़ ही रहा है, इससे मांग भी बढ़ रही है।


भारत में 2006-07  में  16.28 मिलियन टन स्पंज आयरन का उत्पादन हुआ जिसमें से 5.26 मिलियन टन स्पंज आयरन गैस से बनाया गया जबकि 11.01 मिलियन टन स्पंज आयरन कोयले से बनाया गया। सरकार महंगाई को काबू में करने के लिए स्टील और कच्चे माल बनाने वालों के लिए कुछ ढील देने पर विचार कर रही है।

First Published : April 15, 2008 | 8:38 PM IST