अरंडी के कारोबार में लौटी रौनक
बुआई के चलते स्थानीय मांग बढ़ने से अरंडी में फिर से तेजी लौट आयी है। पिछले हफ्ते की शुरुआत में जुलाई डिलिवरी के लिए जहां इसका भाव 53.33 रुपये प्रति किलो था।
वहीं शनिवार को इसमें 2.5 फीसदी की तेजी आयी और यह 54.8 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया। एक कारोबारी के मुताबिक, पहले ही इसका रेजिस्टेंस लेवल 54 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुका है। इसलिए अब इसमें और तेजी की थोड़ी बहुत ही गुंजाइश बची है।
अरंडी तेल के निर्यात को लेकर उत्पन्न हुआ गतिरोध केंद्र सरकार के स्पष्टीकरण के बाद दूर हो जाने से फिर से इसके निर्यात में तेजी देखने को मिल रही है। उल्लेखनीय है कि अरंडी तेल अखाद्य तेलों की श्रेणी में आता है पर केंद्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के बाद कस्टम विभाग ने इसके निर्यात पर भी रोक लगा दी । पर अब यह उलझन दूर हो गयी है और फिर से इसके निर्यात को हरी झंडी दे दी गयी है।
शुरुआती दो महीनों में कांडला बंदरगाह से केवल 19,150 टन अरंडी बीज का निर्यात हो पाया जबकि पिछले साल समानावधि में 73,200 टन का निर्यात किया गया था। देश से सालाना लगभग 2 लाख टन अरंडी का निर्यात किया जाता है।
हड़ताल से मेंथा में उछाल के आसार
मेंथा उत्पादन का दिल माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में मंडी कर को लेकर कारोबारियों के प्रस्तावित हड़ताल से आगामी महीनों में ईंधन की कीमतों में असामान्य उछाल देखने को मिल सकता है। पिछले हफ्ते मेंथा तेल की कीमत में थोड़ी कमी हुई और यह पहले के 456 रुपये प्रति किलो से घटकर 448 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया।
आश्चर्य की बात है कि जबरदस्त मांग के चलते पिछले दिनों मेंथा का भाव 527 रुपये प्रति किलो की सीमा के पार चला गया था। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2.5 फीसदी मंडी कर लगाने के विरोध में राज्य के कारोबारियों ने तय किया है कि वे राज्य में इसके कारोबार को अनिश्चित हड़ताल के जरिए पूरी तरह से ठप्प कर देंगे।
लेवी के विरोध में कारोबारियों ने तय किया है कि वे मंडी से पूरी तरह अनुपस्थित रहेंगे। जब ईंधन की कीमतें आसमान को छू रही हैं तब राज्य सरकार ने तय किया है कि मेंथा तेल पर जनवरी 2004 से प्रभावी होने वाला 2.5 फीसदी मंडी कर लगाया जाए। आशंका जतायी जा रही है कि सरकार के इस कदम से कई कारोबारी जो इस लेवी को चुकाने की स्थिति में नहीं होंगे, बाजार से ही गायब हो जाएंगे।