अमेरिका से चली मंदी की बयार भारत में भी अपना असर दिखा रही है। अमेरिका को सबसे अधिक निर्यात करने वाला आभूषण उद्योग फिलहाल इसकी चपेट में सबसे ज्यादा दिख रहा है।
मुंबई स्थित सांताक्रूज इलेक्ट्रॉनिक निर्यात संवर्धन क्षेत्र (एसईईपीजेड) में तो कम से कम 5 से 6 बड़ी निर्यात इकाइयां अब तक बंद हो चुकी हैं जबकि कई अन्य ने अपनी उत्पादन क्षमता में कटौती कर ली है। अनुमान है कि इस मंदी की वजह से सिर्फ इसी केंद्र से 1.5 लाख से 1.75 लाख नौकरियों में कटौती हो जाएगी।
पहले सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए बने इस एसईजेड में 1987-88 से आभूषणों और रत्नों के उत्पादन और निर्यात को सरकार ने मंजूरी दे दी थी। फिलहाल अकेले सांताक्रुज के इस एसईजेड में ही अब तक दो दर्जन से अधिक छोटे और मध्यम हीरा संवर्धन इकाइयां स्थायी तौर पर बंद हो चुकी हैं। बंदी के बाद इसके कारोबारियों ने आजीविका की खातिर दूसरे व्यवसाय की ओर रुख कर लिया है।
अधिकांश इकाइयों का हाल यह है कि उसने अपना उत्पादन न्यूनतम स्तर तक घटा लिया है। कइयों ने अपनी मानव क्षमता में कटौती कर ली है तो कई ने काम के घंटे कम कर लिए हैं। इस उद्योग से जुड़े अधिकारी घरेलू उपभोक्ताओं से हो सकने वाले नुकसान के चलते इस बारे में बात करने से ही परहेज कर रहे हैं। मंदी की प्रवृत्ति और उपभोक्ताओं की क्रय क्षमता में आए ठहराव का ज्वेलरी कारोबार पर पड़ रहे नकारात्मक असर को साफ तौर पर देखा जा सकता है।
एसईईपीजेड से जुड़े एक कारोबारी का कहना है कि छोटे उद्योगों की तो छोड़ ही दीजिए बड़े-बड़े उद्योग भी इस मंदी की मार झेल पाने में असमर्थ हैं। परिणाम यह है कि 5 से 6 बड़े उत्पादन इकाइयों ने इस धंधे को तिलांजली देकर दूसरे कारोबार की ओर रुख कर लिया है। उनके अनुसार एक ऐसी हीरा कंपनी जिसका टर्नओवर 1000 करोड़ रुपये था, ने अपने काम करने के दिनों को घटाकर आधा कर लिया है।