कार्टल का हिस्सा कभी नहीं रही सेल : रूंगटा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 9:41 PM IST

सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख स्टील कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) का कहना है कि वह कभी भी किसी भी तरह की गोलबंदी(कार्टरलाइजेशन) का हिस्सा नहीं रही है।


इंडियन स्टील एलायंस(आईएसए) से खुद को अलग करने के महज एक दिन बाद सेल के अध्यक्ष सुशील कुमार रूंगटा ने राजधानी में आयोजित सीआईआई के एक सेमीनार में यह बात कही है।


रूंगटा ने सोमवार को कहा कि हम कभी भी गोलबंदी का हिस्सा नहीं रहे और न ही कभी हिस्सा बनेंगे। हमारी कंपनी गोलबंदी में कीमतें नहीं बढ़ाती है। उल्लेखनीय है कि सेल और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड(आरआईएनएल) ने आईएसए से हाथ खींचने का निर्णय किया है। इन कंपनियों को आशंका है कि इस्पात कंपनियों ने कीमतें बढ़ाने के लिए गोलबंदी की है जिससे देश में महंगाई का दबाव बढ़ रहा है। जबकि यह गठबंधन इस्पात उत्पादकों के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर रहा था।


उन्होंने संकेत दिया है कि सेल इस्पात कंपनियों के मुद्दे उठाने वाले दूसरे संगठन में शामिल हो सकती है। कीमतों में कमी के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस्पात की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय लागत को देखते हुए निकट भविष्य में कीमत में कमी के कोई आसार नहीं है। उनके मुताबिक, इस्पात तैयार में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख कच्चा माल कोकिंग कोल की कीमतों में तेजी की वजह से भी लागत काफी बढ़ी है।


कभी 98 डॉलर प्रति टन की दर से मिलने वाला कोयला फिलहाल 305 डॉलर प्रति टन में मिल रहा है। सेल के अध्यक्ष के अनुसार, इस साल मार्च में इस्पात की कीमत बढ़कर करीब 50 हजार रुपए प्रति टन पर पहुंच गई थीं, लेकिन सरकार की पहल से कीमतों में 15 से 18 फीसदी यानि 8 हजार प्रति टन की कमी आई है। यदि इस्पात की यही कीमत बनी रही तो भी ग्राहकों के लिए यह एक अच्छी राहत होगी।


रूंगटा ने बताया कि सेल को कोकिंग कोल की आपूर्ति के लिए आस्ट्रेलिया की कंपनी बीएचपी बिलिटन के साथ सेल के होने वाले समझौते पर इसी महीने हस्ताक्षर किए जाएंगे। उनके अनुसार, सेल को अपने इस्पात संयंत्रों की जरूरतें पूरी करने के लिए इस साल 1.2 से 1.3 करोड़ टन कोकिंग कोल का आयात करना पड़ेगा।

First Published : May 5, 2008 | 10:48 PM IST