बिन मौसम बरसात और शीतकाल की अवधि बढ़ने के कारण देश में नमक का उत्पादन लगभग 14 प्रतिशत कम हो सकता है।
इससे नमक महंगा हो सकता है और निर्यात पर भी असर पड़ सकता है। इंडियन सॉल्ट मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन (इस्मा) के सचिव बी. सी. रावल ने कहा कि 2007 में 173 लाख टन नमक उत्पादन हुआ था। 2008 के लिए हम शायद केवल 150 लाख टन नमक का उत्पादन कर पाएंगे। प्रतिकूल मौसम के कारण ऐसा होगा।
नमक उत्पादन के लिए सूखा मौसम आवश्यक होता है। गुजरात के पश्चिमी इलाके में 1600 किलोमीटर लंबा तटीय क्षेत्र नमक उत्पादन का अनुकूल माहौल मुहैया कराता है। इस प्रकार देश में गुजरात सबसे बड़ा नमक उत्पादक राज्य है। देश में उत्पादित होने वाले कुल नमक का लगभग 70 फीसदी गुजरात में होता है।
रावल ने बताया कि नमक की मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर हो सकता है। ऐसा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तरों पर होगा, जिससे नमक की कीमत बढ़ सकती है। नमक का निर्यात भी इस साल प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि 2007 में नमक 250 रुपये प्रति टन था, लेकिन 2008 में यह 350 से 400 रुपये प्रति टन हो सकता है। बिजली शुल्क में बढ़ोतरी के कारण भी नमक के दाम बढ़ सकते हैं।