भूरेलाल नामक किसान उत्तर प्रदेश के शम्साबाद नामक जगह से 100 टन आलू लेकर आजादपुर मंडी आया है।
पिछले चार दिनों से वह अपने आलू की बिकवाली का इंतजार कर रहा है। उसके पिताजी आलू की बोरी पर लेटे हैं तो वह बार-बार कमीशन एजेंटों से आलू की जल्दी से जल्दी बिक्री करवाने की गुजारिश कर रहा है। आजादपुर मंडी में भूरे लाल जैसे सैकड़ों किसान इन दिनों अपने आलू के बिकने का इंतजार कर रहे हैं।
मंडी में आलू की कीमत बहुत कम हो चुकी है। आवक काफी बढ़ी हुई है। सारे कोल्ड स्टोरेज भर चुके हैं। व्यापारी आलू उठाने के मूड में नजर नहीं आ रहा है। क्योंकि आलू की बिक्री में इस साल लाभ का प्रतिशत काफी कम होता नजर आ रहा है। हालत ऐसी है कि आलू के किसानों को इस साल उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है।
आलू बेचने आजादपुर मंडी आए अलीगढ़ के किसान ओम प्रकाश कहते हैं, ‘इस साल हमारे आलू की बिक्री मंडी में 200-300 रुपये प्रति बोरी हो रही है। एक बोरी का वजन 80 किलोग्राम होता है। मंडी में छोटे आलू की कीमत प्रति बोरी 200 रुपये लगाई जा रही है तो बड़े आलू की कीमत 300 रुपये प्रति बोरी है।’
पिछले साल 80 किलोग्राम आलू की बोरी की बिक्री 350-500 रुपये की दर से हो रही थी। किसान बताते हैं कि गत वर्ष उन्होंने 18-20 टन आलू की बिक्री 50,000 रुपये में की थी जो घटकर इस साल 25,000 रुपये के स्तर पर आ गई है। आलू के कमीशन एजेंट भी इस बात को स्वीकारते हैं।
पिछले साल के मुकाबले इस साल आलू की आवक में 44-60 फीसदी तक की बढ़ोतरी है। इस अवधि के दौरान आलू की आवक 160-180 गाड़ी है जो पिछले साल समान अवधि के दौरान 100-125 गाड़ी थी।
एपीएमसी की जानकारी के मुताबिक 9 अप्रैल को आलू की कुल आवक 21,675 क्विंटल रही। गत 25 मार्च से लेकर 9 अप्रैल की अवधि के दौरान आलू की औसत आवक 21,315 क्विंटल रही। किसानों को आलू की पैदावार के लिए एक बीघा की खेती में 5500 रुपये की लागत आती है।