कच्चे तेल की तेज मांग और आयातित कोयले की वजह से 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत के बंदरगाहों ने 11 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है। डीएएमस कैपिटल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था खुल रही है।
मात्रा के हिसाब से उल्लेखनीय वृद्धि इसलिए भी अहम है कि कच्चे तेल और आयातित कोयले की कीमत बहुत बढ़ी है। भारत की कोयला कंपनियों ने इस साल की शुरुआत में थर्मल कोल संकट के बाद आपूर्ति के लिए दबाव बढ़ाया है।
वित्त वर्ष के पहले 3 महीने के दौरान प्रमुख और गैर प्रमुख बंदरगाहों के बीच आवाजाही 36.6 करोड़ टन रही है। इसमें से प्रमुख बंदरगाहों, जो केंद्र सरकार के हैं, की हिस्सेदारी 19.7 करोड़ टन है।
बढ़ी कीमतों के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कोयले और कच्चे तेल की आवाजाही 16 प्रतिशत बढ़ी है और पहली तिमाही में इनकी हिस्सेदारी 10.5 करोड़ टन और 6.5 करोड़ टन रही है।
कच्चे तेल की बड़े पैमाने पर आवाजाही निजी व अन्य बंदरगाहों से हुई। इस दौरान कच्चे तेल की ढुलाई में प्रमुख बंदरगाहों की हिस्सेदारी 4.1 करोड़ टन रही है। बहरहाल प्रमुख बंदरगाहों से पिछले साल की तुलना में इस अवधि के दौरान कच्चे तेल की आवाजाही में वृद्धि 20 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी ।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कंटेनर की मात्रा निर्यात की मात्रा पर निर्भर है, वहीं कोयला व कच्चे तेल घरेलू खपत से संचालित होते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 23 में निर्यात की मात्रा 8 से 9 प्रतिशत बढ़ेगी।’