साल 2008-09 में चीनी के निर्यात में 60 फीसदी की गिरावट के आसार हैं और यह 15 लाख टन के स्तर पर सिमट सकता है।
चीनी उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि कम उत्पादन और घरेलू बाजार में चीनी की बढ़ती कीमतों की वजह से चीनी के निर्यात में गिरावट हो सकती है। इंडियन शुगर मिल्स असोसिएशन के असोसिएट डायरेक्टर एस. एल. जैन ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियां और मौसम को देखते हुए 2008-09 के सीजन में चीनी का उत्पादन 2 करोड़ टन के स्तर पर रह सकता है।
उन्होंने कहा कि 2007-08 के सीजन में 2.65 करोड़ टन चीनी के उत्पादन की उम्मीद है। जैन ने कहा कि 2006-07 के सीजन में 2.83 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था। जैन ने कहा कि कुछ हफ्ते पहले तक महाराष्ट्र के इलाके में सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई थी, लेकिन अब स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है क्योंकि बारिश का सिलसिला एक बार फिर चल पड़ा है। गौरतलब है कि चीनी उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा राज्य है। निर्यात के बारे में जैन ने कहा कि इस सीजन में चीनी का निर्यात 10-15 लाख टन रह सकता है जबकि 2007-08 के सीजन में चार लाख टन रहा था।
यह पूछे जाने पर कि निर्यात में गिरावट की वजह क्या है? उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें बढ़ रही हैं जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसमें नरमी आ गई है। इसके अलावा चीनी के उत्पादन में कमी के अनुमान से भी चीनी के निर्यात में गिरावट की आशंका है। चीनी का निर्यात इसलिए भी प्रभावित हो सकता है क्योंकि सरकार ने अगले साल के लिए ट्रांसपोर्ट सब्सिडी नहीं बढाने का फैसला किया है। खाद्य व आपूर्ति मंत्री शरद पवार ने जून में ऐलान किया था कि सितंबर में समाप्त होने वाले सीजन के बाद सरकार ट्रांसपोर्ट सब्सिडी जारी नहीं रखेगी।
शुगर इंडस्ट्री को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना सरप्लस माल बेचने में मदद के लिए सरकार वैसे मिलों को सहायता देने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत समुद्रतटीय इलाके में मौजूद मिल को 1350 रुपये प्रति टन की सहायता जबकि गैर समुद्रतटीय इलाके में स्थित मिल को 1450 रुपये प्रति टन की सहायता दी जाएगी। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है। 2007-08 का सीजन समाप्त होने तक भारत के पास 95 लाख टन चीनी का स्टॉक बचा रहेगा। 2007-08 सीजन में कुल उत्पादन 2.65 करोड़ टन का रहेगा।
ऐसे में 40 लाख टन निर्यात और 2.25 करोड़ टन घरेलू खपत का आंकड़ा सामने है। कुल मिलाकर उत्पादन और खपत का हिसाब-किताब बराबर दिख रहा है। दूसरे देशों के मुकाबले भारत वैसा चीनी उत्पादित करता है, जिसका निर्यात बाजार सीमित है। हालांकि चीनी उद्योग के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत ने वर्तमान सीजन में पर्याप्त मात्रा में कच्ची चीनी का निर्यात किया है। भारत ने कच्ची चीनी का निर्यात मध्य पूर्व के देशों, एशियाई देशों, दुबई, सऊदी अरब, ईरान, मलयेशिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, अफ्रीका और चीन को किया।