सितंबर में समाप्त हो रहे 2021-22 चीनी सत्र में केंद्र सरकार द्वारा 12 लाख टन अतिरिक्त चीनी निर्यात की अनुमति दिए जाने उम्मीद है। यह पहले से तय 100 लाख टन निर्यात के अतिरिक्त होगा। उम्मीद से ज्यादा घरेलू उत्पादन के कारण अतिरिक्त निर्यात की अनुमति दिए जाने की संभावना है।
सूत्रों ने कहा कि कुछ दिन पहले हुई एक बैठक में अधिकारियों की उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने निर्यात के अतिरिक्त कोटा को मंजूरी दे दी है।
उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह अतिरिक्त कोटा अधिशेष उत्पादन को देखते हुए पर्याप्त होगा। इसके बाद भी 60 से 68 लाख टन क्लोजिंग स्टॉक के रूप में बचा रहेगा, जितनी खपत मोटे तौर पर 3 से 4 महीने में होती है।’
अधिकारी ने कहा कि इसके बारे में जल्द आधिकारिक घोषणा होने की उम्मीद है। चालू साल (2021-22) में अब चीनी का उत्पादन 360 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है, जबकि पहले 350 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया था।
पिछले महीने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विदेश में 10 लाख टन अतिरिक्त चीनी भेजने के लिए छूट दिए जाने की मांग की थी, क्योंकि पहले के अनुमान की तुलना में उत्पादन अधिक होने की संभावना है।
बहरहाल उसके बाद बुधवार को सरकार को भेजे एक पत्र में इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने केंद्र सरकार से मांग की थी कि वह ओपन जनरल लाइसेंस रिजीम के तहत अक्टूबर से शुरू हो रहे अगले सत्र (2022-23) न्यूनतम 80 लाख टन निर्यात की अनुमति दे, जिससे कि अतिरिक्त उत्पादन का इस्तेमाल किया जा सके, अन्यथा चीनी के घरेलू दाम पर दबाव बढ़ेगा।
इस्मा के अनुमान के मुताबिक 2022-23 सत्र (अक्टूबर से सितंबर) में भारत का चीनी उत्पादन करीब 399.7 लाख टन रहने की उम्मीद है, जो मौजूदा साल के 394 लाख टन उत्पादन की तुलना में 6 लाख टन ज्यादा होगा। इस्मा ने कहा, ‘यह विशुद्ध चीनी उत्पादन के आंकड़े हैं, जिसमें एथेनॉल मिश्रण के लिए चीनी भेजने के आंकड़े को शामिल नहीं किया गया है।’ संगठन ने कहा कि एथेनॉल मिश्रण योजना के तहत करीब 34 लाख टन चीनी भेजने के बाद खपत के लिए उपलब्ध वास्तविक चीनी की मात्रा करीब 360 लाख टन रहेगी।