केंद्र सरकार के लाख दावों के बावजूद स्टील क्षेत्र के छोटे और लघु उद्यमियों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
कच्चे माल की बढ़ती कीमतों ने कारोबारियों की लागत बढ़ा दी है, वहीं उनके मुनाफे में भी सेंध लग रहा है। उत्तर प्रदेश की स्टील इकाइयां केंद्र सरकार के उस दावे को झूठा ठहरा रही हैं, जिसमें स्टील कंपनियों ने दाम स्थिर रखने की बात कही थी।
उद्यमियों का कहना है कि सरकार से वायदे के बाद भी बड़ी कंपनियां अपने उत्पादों की कीमतों में लगातार इजाफा कर रही हैं। इसकी वजह से जहां छोटी-मझोली कंपनियों की लागत बढ़ रही है, वहीं अधिक कीमत पर उत्पाद बेचने से उन्हें खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के लघु उद्योग निदेशालय के प्रबंध निदेशक अभय कुमार बाजपेयी ने भी इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया कि पिछले 15 दिनों में इस्पात की कीमतों में करीब 4000 से 5000 रुपये प्रति टन का इजाफा किया गया है। इससे छोटी-मझोली कंपनियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
लघु उद्योग निदेशालय के प्रबंध निदेशक का कहना है कि लागत बढ़ने की वजह से प्रदेश की ज्यादातर छोटी और मझोली इकाइयां बीते छह महीने से काम बंद किए बैठी हैं। कुछ उद्योगों में अगर उत्पादन हो भी रहा है, तो वह पुराने ऑर्डर को पूरा करने में लगी हुई हैं।
दरअसल, लागत बढ़ने की वजह से उत्पादों की कीमतों में इजाफा हुआ है, जिससे वे नए ऑर्डर नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि खरीदार पहले की कीमत पर वस्तु की आपूर्ति करने को कहते हैं। रक्षा क्षेत्र को सप्लाई करने वाले एक लघु उद्यमी ने बताया कि ग्राहक बीते 15 दिनों से लगातार कह रहे हैं कि स्टील के दाम बढ़े नहीं हैं, जबकि हालात ठीक उलटे हैं।
पंजाब फाउंड्री के मालिक हीरानंद ने बताया कि अब भी स्टील की कीमतों में इजाफा हो रहा है। इसी हफ्ते कोल्ड रोल्ड क्वॉयल और शीट के दाम 46,000 रुपये प्रति टन से बढ़कर 51,000 रुपये प्रति टन हो गया है। उनका कहना है कि पहले कि जगह कोल्ड रोल का नाम जरूर बदल दिया है और उसी माल को कंपनियां बढ़ी हुई दर से बेच रही है।
उधर, अभय बाजपेयी का कहना है कि बड़ी कंपनियां अपना माल निकालने के लिए कई लुभावने उपहार देकर बड़े शोरूम खुलवा रही है। ऐसे में, छोटी इकाइयों को सस्ता माल मिलने में परेशानी आ रही है, जबकि बड़ी कंपनियां थोक में आसानी से कच्चा माल जुटा लेती हैं।
गौरतलब है कि लघु उद्योग निदेशालय प्रदेश की 4000 से ज्यादा छोटी और मझोली इकाइयों को स्टील खरीद कर सस्ती दरों पर कच्चे माल की आपूर्ति करता है। इस साल मार्च से कच्चे माल की उठान न होने से निदेशलय घाटे में चला गया है, वहीं छोटी-मझोली कंपनियों को महंगा माल मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से कई इकाइयों में काम बाधा आ रही है।
वायदे पर कायम नहीं
यूपी लघु उद्योग निदेशालय ने कहा, वायदे के बावजूद कंपनियों ने बढ़ाई कीमतें
कोल्ड रोल्ड क्वॉयल और शीट के दाम 46,000 रुपये से बढ़कर 51,000 रुपये प्रति टन किया
लागत बढ़ने से छोटी-मझोली कंपनियों पर जड़ रहा ताला