वायदा का अस्तित्व खतरे में

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 10:42 PM IST

कमोडिटी वायदा कारोबार जिस तेजी के साथ विकसित हुआ, लगता है उसी तेजी के साथ सिमट भी जाएगा।


इस समय कमोडिटी बाजार के ऊपर मंडरा रहे संकट के बादल  को देखकर तो यही लग रहा है। सेन कमेटी की रिपोर्ट , वित्तमंत्री का बयान और हाल ही में लगाए गए चार कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक के साथ ही सीटीटी का जिन्न भी अभी वायदा कारोबार को परेशान करने वाला है।


एक के बाद एक कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक लगाए जाने से विश्लेषक भी हैरान हैं।  ऐंजल ब्रोकिंग के कमोडिटी रिसर्च प्रमुख अमर सिंह का कहना है कि जिस मकसद से सरकार ने जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक लगाई है वह तो पूरा होने वाला नहीं है। बल्कि इसका दुष्परिणाम यह होगा कि छोटे-छोटे क्षेत्रीय कमोडिटी एक्सचेंजों का अस्तिव ही खतरे में पड़ जाएगा।


चार जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध से कमोडिटी एक्सचेंजों के कारोबार में 1,200 से 1,500 करोड़ रुपए की कमी आ गई है। सोयाबीन, आलू, रबर और चना के वायदा कारोबार पर रोक के पहले भी सरकार चावल, गेंहू, उड़द दाल और तुअर दाल के वायदा कारोबार पर रोक लगा चुकी है। इस तरह, भारतीय बाजार में अभी तक कुल आठ वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लग चुकी है।


 हाल ही में वित्तमंत्री पी चिदंबरम खाद्य तेलों और चीनी के वायदा कारोबार पर भी रोक लगाने के संकेत दे चुके हैं। सिंह हैरान हो  कहते हैं कि मेरे समझ में नहीं आता कि चीनी पर रोक क्यों नहीं लगी।  जबकि आलू पर रोक लगा दी गई। सरकार द्वारा लगाए गए इस रोक से जहां नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवैटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के कारोबार में 60 फीसदी की कमी आई है। वहीं इंदौर स्थित नेशनल बोर्ड ऑफ टे्रड (एनबीओटी) के कारोबार का तो लगभग सफाया ही हो गया है।


कृषि जिंसों पर विवाद और राजनेताओं के तुरंत दबाव में आ जाने की वजह से अब कमोडिटी एक्सचेंज गैर कृषि जिंसों के कारोबार पर जोर देने की सोच रही हैं। गैर कृषि जिंसों में सबसे महत्वपूर्ण जिंस सोना आता है। इसकी कीमत पिछले कुछ सालों में जमीन से आसमान पर पहुंच गई है।


इसकी मुख्य वजह वायदा कारोबार को मानने वालों की भी कमी नहीं है। तो क्या भविष्य में सोना के वायदा कारोबार पर भी रोक लगाई जा सकती है? इस सवाल पर जानकार सीधे जवाब न देकर यह कहते नजर आते हैं कि फिलहाल तो ऐसी गुंजाइश नहीं है।


उधर ऐसी अनुमान है कि भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज के कारोबार को एक और झटका लगने वाला है। सरकार कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) लगाकर यह झटका देने वाली है। शेयरों के कारोबार पर लागू सिक्योरिटी  ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) की तर्ज पर कमोडिटी बाजार पर भी सीटीटी लगाने की तैयारी सरकार ने कर ली है। वह भी दूसरे देश के बाजारों से ज्यादा ।


प्रस्तावित सीटीटी टैक्स एक लाख रुपये पर 19.25 रुपये होगा, जबकि अभी कारोबारियों को एक लाख रुपये पर सिर्फ दो रुपये  टैक्स के रुप में देने होते है। इसका फर्क यह हो सकता है कि हेजर भारतीय बाजार को छोड़कर विदेशी बाजारों की ओर रुख कर ले। कमोडिटी बाजार के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो सरकार अभी चीनी सहित कुछ अन्य जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक लगा सकती है।


सरकार का इस समय खिंसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे वाला  हाल हो गया है। सूत्रों की मानें तो सरकार कुछ कमोडिटी एक्सचेंजो में होने वाले कारोबार पर ही रोक लगा सकती है। कई ऐसे एक्सचेंज है जिनके बारे में शिकायतें वायदा बाजार आयोग के पास है। इन्ही शिकायतों के बहाने सरकार इन पर नकेल कसना चाहती है। भारतीय कमोडिटी बाजार के छोटे एक्सचेंजों का हाल भी क्षेत्रीय शेयर एक्सचेंजों जैसा होने वाला है जहां कारोबार तो होता है पर उनका कारोबार बहुत ही कम रहता है।

First Published : May 9, 2008 | 11:23 PM IST