तांबे की कीमत में अगले हफ्ते कमी होने की उम्मीद जतायी जा रही है। प्रमुख विदेशी मुद्राओं की तुलना में डॉलर के मजबूत होने और धातु बाजार से फंड के बाहर होने से इस धातु की कीमत में यह मंदी आने की उम्मीद है।
हालांकि जिंक और निकेल जैसे धातुओं में सुधार होने की उम्मीद है। पर निवेशकों के धातु बाजार से बाहर निकलने के बाद आशंका जतायी जा रही है कि अब इसमें गिरावट हो सकती है। आमतौर पर, निवेशक जो दूसरी परिसंपत्तियों में निवेश किए हुए होते हैं डॉलर के मजबूत होने पर अपने पैसे को वहां से निकाल कर डॉलर में निवेश करना शुरू कर देते हैं। फिलहाल डॉलर का भाव पिछले दो महीनों में अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। अभी 40.76 रुपये में एक डॉलर मिल रहा है।
थोड़े समय की तेजी से तांबे में 200 डॉलर, निकेल में 2,500 डॉलर और जस्ते में 250 डॉलर प्रति टन की मजबूती आयी है। फिर भी इन धातुओं के भाव फिसलकर क्रमश: 7,200 डॉलर, 28,500 डॉलर और 2,700 डॉलर प्रति टन होने का अनुमान है। पिछले शुक्रवार को लंदन में तांबा 8,578 डॉलर, अल्युमिनियम 2,880 डॉलर, निकेल 28,400 डॉलर और जस्ता 2,185 डॉलर प्रति टन पर बंद हुआ।
रेलीगेयर इंटरप्राइजेज के कमोडिटीज प्रमुख जयंत मांगलिक के मुताबिक, कुल मिलाकर अभी मंदी की स्थिति बन रही है। चिली में कोडेलको की दो खदानों में हड़ताल की चेतावनी और जल्द ही मैक्सिको द्वारा आपूर्ति में कटौती किए जाने के मद्देनजर ऐसी स्थिति बन रही है। मांगलिक के अनुसार, इस समय डॉलर में आ रही मजबूती वाकई में सबसे प्रमुख समस्या बनकर उभर रही है।
चिली में कोडेलको की तीन खदानों में से एक में हड़ताल की धमकी को अब सुलझाया जा चुका है। यहां काम करने वाले श्रमिकों से हुई बातचीत के बाद सहमति बनी कि ये श्रमिक सोमवार से काम पर लौट जायेंगे। कंपनी खान-श्रमिकों को दूसरे दो खदानों में इस्तेमाल कर रही है।
कंपनी के प्रबंधन को उम्मीद है कि मतभेद को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। विकासशील देशों से मांग के ऊंचे रहने पर खदानों और भट्टियों से आपूर्ति के कम रहने के चलते क्षार धातुओं के भाव पिछले कुछ हफ्ते से काफी अस्थिर रहे हैं।